पुर्व जिला परिषद चेयरमैन के नाम से जाने जाने वाले रतन सिंह के निधन से जिले को अपुर्णिय क्षति

 

डीएनबी भारत डेस्क

बेगूसराय के पूर्व जिला परिषद के चेयरमैन रतन सिंह 23 साल पहले जिला परिषद बेगूसराय के अध्यक्ष पद पर काबिज होने के बाद राजनीति में आए थे,तब वह राजद से ही जुड़े थे। जिला पार्षद का चुनाव 2021 में जीतने के बाद जिला परिषद अध्यक्ष 10 जून 2021 को  वो कुर्सी पर विराजमान हुए थे ,और 21 जून 2006 तक अपने कुर्सी पर बने रहे। फिर महिला सीट होने के कारण अपनी पत्नी  वीणा देवी को फिर जिप अध्यक्ष बनाकर 22 जून 2006 से लेकर 21 जून 2021 तक वो सीट पर काबिज बनी रही। उसके बाद उनकी पत्नी जिला परिषद अध्यक्ष  पद का चुनाव इंदिरा देवी से एक वोट से हार गई थी! इंदिरा देवी 2021 से  लेकर 2016 तक अध्यक्ष के पद पर बनी रही।

फिर उसके बाद सामान्य सीट जिला परिषद अध्यक्ष का नहीं रहने के कारण अपने जिला परिषद के अध्यक्ष की कुर्सी पर रतन सिंह ने संजीव कुमार उर्फ रविंद्र चौधरी को 22 जून 2016 को बनाया। और रविंद्र चौधरी 29 दिसंबर 2021 तक जिला परिषद के अध्यक्ष बने रहे। फिर उसके बाद जिला परिषद के अध्यक्ष सीट पर रतन सिंह सुरेंद्र पासवान को अध्यक्ष 30 दिसंबर 2021 को बनाया और पूरे जिला परिषद अध्यक्ष पद के कुर्सी का रिमोट अपने  हाथ में रखकर चलाया। रतन सिंह का जिला परिषद सदस्यों के ऊपर बहुत बड़ी पकड़ थी और जिला परिषद का विकास  चहुमुखी सभी क्षेत्रो में कराते थे।

उनके निधन के बाद जिला परिषद को एक और  अपूर्णीय क्षति हुई है। शायद ही अब कोई दूसरा रतन सिंह जिला परिषद में बनकर आएगा। अगर कहा जाए तो जिला परिषद सदस्य  से लेकर जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी,, डीडीसी, जिला परिषद अभियंता, जिला परिषद के सदस्य,जिला परिषद के सभी कर्मियों के ऊपर उनकी बड़ी पकड़ थी।जब वो बेगूसराय जिला परिषद कार्यालय  में अपनी गाड़ी से पहुंचते थे, तो सभी उन्हें कहता था कि  बौस आ गए हैं ।रतन सिंह नहीं पार्षद सदस्य बोलकर पुकारते थे,बौआ कहकर  पुकारते थे। शायद ही उनके स्थान को अब कोई दूसरा जिला पार्षद  ले पाएंगे कि नहीं। जिला पार्षद के सभी सदस्यों के ऊपर अब कौन कंट्रोल  रखेगा।

जब रतन सिंह जिला पार्षद का पहली बार 2021 में चुनाव जीतकर अध्यक्ष बने थे। उसे समय में अपने प्रतिद्वंदी  सीपीआई के कैंडिडेट के खिलाफ राजद और बीजेपी से जुड़े जिला पार्षद को अपने पक्ष में कर लिया। इसके चलते अध्यक्ष भी वह बन गए ।बाद में फिर अपनी पत्नी  वीणा देवी को भी जिला परिषद का अध्यक्ष बनाये। राजनीति से पहले  वो बाहुबली नेताओं की तरह उन पर भी कई तरह के केस मुकदमे हुए थे और तमाम तरह के आरोप लगे जो कोर्ट में साबित नहीं हो सके ।रतन सिंह ने जिला परिषद अध्यक्ष पद पर पूरे जिला में अपना एक प्रभाव बनाकर रखा। इसलिए उन्होंने पिछले दो दशक से अधिक जिप की राजनीति नहीं छोड़ी। उस समय मंत्री श्री नारायण यादव ,आरजेडी के जिला में अभिभावक कहे जाते थे। दूसरी तरफ डॉ० भोला सिंह थे ।

जो निर्दलीय से शुरू होकर  सीपीआई,कांग्रेस,,राजद के रास्ते बीजेपी में पहुंच चुके थे। दोनों का समर्थन रतन सिंह को प्राप्त था। खिलाफ रह गई  थी, सीपीआई  उसके साथ भी आगे चलकर उन्होंने संबंध सुधार लिया  था। पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को स्वर्ण मुकुट पहनाने के बाद बिहार बेगूसराय के बाहुबली रतन सिंह ने राजनीतिक जगत में खलबली मचा दी थी – राष्ट्रीय जनता दल (राजद )सुप्रीमो और पूर्व बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को कांग्रेस पार्टी के द्वारा पटना में 27 अक्टूबर 2023 को आयोजित डॉ0 श्री कृष्ण सिह की जयंती में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के द्वारा लालू यादव को बतौर मुख्य अतिथि बनाकर बुलाया गया था। 23 वर्ष पहले रतन सिंह 2001 में जिला परिषद अध्यक्ष बनकर राजनीति में सक्रिय हुए थे।

उसी समय से  वो राजद से जुड़े हुए थे। उसके बाद रतन सिंह पटना में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह से मित्रता रहने के कारण वो श्री बाबू के जयंती समारोह में पटना हजारों लोगों के साथ गाड़ी से पहुंचे थे और लालू यादव को सिर में सोने का मुकुट पहनाकर राजनीति जगत में पूरे बिहार में खलबली मचा दिए थे।उसके बाद से वो काफी चर्चा में रहे । पूर्व जिला परिषद के अध्यक्ष रतन सिंह का अंतिम दाह संस्कार गुरुवार को दोपहर बाद पवित्र गंगा तट सिमरिया घाट पर कल किया जाएगा। इसकी जानकारी उनके बड़े दामाद  व पूर्व एमएलसी बीजेपी के वरिष्ठ नेता रजनीश कुमार ने दी।

उन्होंने बताया कि मेरे ससुर जी को एक ही पुत्र अंकित कुमार और हमारे छोटे साढु जी और मेरी साली आज देर रात्रि में  तिलरथ लंदन से पहुंचेंगे। इसलिए उनका अंतिम दह संस्कार कल किया जाएगा ।उन्होंने बताया कि कल यानी गुरुवार की सुबह 9:00 बजे में उनके पार्थिव शरीर को  तिलरथ आवास से सुबह 9:30 बजे में बेगूसराय जिला परिषद कार्यालय में अंतिम दर्शन करने के लिए  पार्थिव शरीर को लाया जाएगा। वही पर सभी जिला परिषद के सदस्य उनके पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण करेंगे। उसके बाद सीधे वहां से उनका पार्थिव शरीर को अंतिम दाह संस्कार करने के लिए सिमरिया गंगा घाट के लिए प्रस्थान कर जाएगा ।जहां उनके इकलौते पुत्र अंकित सिंह अपने पिता रतन सिंह को मुखाग्नि देंगे। उनके निधन की खबर  मिलने के बाद  तिलरथ स्थित आवास पर बुधवार को अंतिम दर्शन करने के लिए हजारों लोग सुबह से लेकर शाम तक पहुंच रहे हैं। उनके चाहने वाले लोग अंतिम दर्शन करने के लिए दिन भर आते हुए दिखे।

डीएनबी भारत डेस्क