विधालय के बच्चों को पहुंच पथ नहीं रहने से पानी और किचर से भरे रास्तों से होकर शिक्षा के अधिकार नियमों के तहत गिरते पड़ते जाना आना पड़ता है।
डीएनबी भारत डेस्क
जब पदाधिकारियों और जंनप्रतिनिधीयों का मिजाज किसी भी गांव या संस्था को बेहतर बनाने के लिए जागृत होती है तो असंभव काम भी संभव हो जाया करता है।तो ग्रामीणों के द्वारा जंनप्रतिनिधीयों और पदाधिकारियों को लोग श्रद्धा भाव से देखते ही नहीं हैं वीरपुर में तो वैसे पदाधिकारियों या जंनप्रतिनिधीयों को लोग समय समय पर समारोह पूर्वक संम्मान और विदाई समारोह भी आयोजित किया करते हैं।
लेकिन वीरपुर पश्चिम पंचायत में एक ऐसा भी नवीन प्राथमिक विद्यालय गाछी टोल है जिसे बने तो आठ साल हो गए हैं 8 साल बाद भी इस विधालय के बच्चों को पहुंच पथ नहीं रहने से पानी और किचर से भरे रास्तों से होकर शिक्षा के अधिकार नियमों के तहत गिरते पड़ते जाना आना पड़ता है जो किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक तो है ही। साथ में पदाधिकारियों और जंनप्रतिनिधीयों के भी हिंन मानसिकता को भी उजागर करती है।
इस संबंध में दर्जनों ग्रामीण ने बताया कि स्थानीय स्तर पर कुछ जंनप्रतिनिधीयों और शिक्षकों ने तो समय समय पर पहल तो किया लेकिन कहीं ना कहीं इस गंभीर समस्या को लेकर जंनप्रतिनिधीयों और पदाधिकारियों का भी मानसिकता ठीक नहीं लगता है।
बेगूसराय वीरपुर संवाददाता गोपल्लव झा की रिपोर्ट