बेगूसराय में एनडीए के वोटरों को मृत घोषित कर वोटर लिस्ट से नाम हटाकर चुनावी परिणाम को बिगाड़ने की कोशिश की गई है – सुरेंद्र मेहता

 

चुनाव से पूर्व सभी राजनीतिक दलों के लोगों के साथ वोटर लिस्ट जारी होने के बाद समीक्षा की गई थी लेकिन उस वक्त किसी ने भी आपत्ति नहीं दर्ज कराई थी – रोशन कुशवाहा (जिलाधिकारी बेगूसराय)

डीएनबी भारत डेस्क

बेगूसराय लोकसभा सीट में 13 मई को चुनाव संपन्न कराया गया । लेकिन चुनाव के बाद बेगूसराय चुनावी दृष्टिकोण से एक बार फिर चर्चा में है । दरअसल बेगूसराय पूरे देश के हॉट सीट में से एक है क्योंकि यहां से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह बीजेपी के उम्मीदवार हैं तो वहीं यह सीट महागठबंधन की ओर से सीपीआई के खाते में गई है। वर्तमान चर्चा इस बात की है कि बेगूसराय लोकसभा सीट में एनडीए के वोट को बिगड़ने की कोशिश की गई है और अल्पसंख्यक समुदाय के बीएलओ के द्वारा सैकड़ो लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया। जिससे वह मतदान करने से वंचित रह गए ।

अब बिहार सरकार के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता ने भी सीधे-सीधे आरोप लगाते हुए कहा है कि बेगूसराय में बड़े पैमाने पर एनडीए के वोटरों को मृत घोषित कर वोटर लिस्ट से नाम हटाकर चुनावी परिणाम को बिगड़ने की कोशिश की गई है। सुरेंद्र मेहता ने जिला प्रशासन से कार्रवाई की भी मांग की है । दरअसल पूरा मामला बेगूसराय लोकसभा सीट से जुड़ा हुआ है जहां चुनाव के बाद सैकड़ो मतदाताओं ने एक खास राजनीति के तहत अपना नाम डिलीट हो जाने का आरोप लगाया है। सदर प्रखंड के सांख गांव के इन सैकड़ो मतदाताओं का कहना है कि अशफाक नमक बीएलओ के द्वारा उनके नाम जानबूझकर वोटर लिस्ट से हटा दिए गए जिससे कि वह वोट गिरने से वंचित रह गए।

मतदाताओं ने भी आरोप लगाया है कि वह लोग सदैव बीजेपी के वोटर रहे हैं इसलिए एक साजिश के तहत उनके साथ ऐसा बर्ताव किया गया है। वही बछवारा के विधायक एवं बिहार सरकार के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता ने भी साजिश के तहत एनडीए के वोटरों का नाम हटाने एवं उन्हें मृत् घोषित करने का आरोप लगाया है । उन्होंने कहा है कि इन लोगों में कई ऐसे मतदाता भी है जो पेंशनधारी हैं। ऐसे में उन्होंने जिला प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच की मांग सहित बीएलओ पर कार्रवाई की मांग की है ।

मामला संज्ञान में आने के बाद जिला निर्वाचि पदाधिकारी शह बेगूसराय के जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा ने भी उक्त मामले में संज्ञान लेते हुए कहा है कि चुनाव आयोग के द्वारा भी ऐसे निर्देश जारी किए गए हैं की विशेष परिस्थिति में ही नाम को हटाया जाएगा लेकिन चुनाव के समय बिना किसी कारण के किसी मतदाता का नाम नहीं हटाया जा सकता। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि चुनाव से पूर्व सभी राजनीतिक दलों के लोगों के साथ वोटर लिस्ट जारी होने के बाद समीक्षा की गई थी लेकिन उस वक्त किसी ने भी आपत्ति नहीं दर्ज कराई थी । लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा इस मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर करी कार्रवाई की जाएगी ।

डीएनबी भारत डेस्क