नालंदा जिला के रहुई प्रखण्ड के विभिन्न पंचायत सहित अन्य प्रखण्डों में मानसून बाद आने वाले बाढ़ त्रासदी से बचाव को जहां एक ओर शुरू किया गया कार्य, तो दुसरी ओर ग्रामीण करोड़ों रुपया जर्जर तटबंध की मरम्मति के नाम पर लूटखसोट किये जाने का लगा रहे हैं आरोप।
डीएनबी भारत डेस्क
भले ही पूरे नालन्दा जिले में मॉनसून ने अभी दस्तक तक नहीं दिया हो लेकिन आने वाले मानसून के कारण बाढ़ को लेकर अभी से ही रहुई प्रखंड के हजारों किसान एवं स्थानीय ग्रामीण काफी सहमे हुए हैं। इन किसानों का सहमना भी लाजमी है। क्योंकि पिछले कई वर्षों से लगातार किसानों के द्वारा बोई गई फसल बाढ़ के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है। इतना ही नहीं बाढ़ के कारण जान-माल की क्षति भी होती है।
जबकि इस बार प्रशासन के द्वारा हर बार की तरह रहुई प्रखंड के चिल्कीपुर मथुरापुर दुलचंदपुर मईफरीदा हवनपुरा इतासंग समेत कई ऐसे इलाके हैं जहां पर जर्जर तटबंधों का काम काफी तेजी से किया जा चुका है। रहुई प्रखंड के 15 पंचायत ऐसे हैं जहां बाढ़ के वक्त पूरा इलाका जलमग्न दिखाई देता है चारों तरफ बाढ़ की भयानक त्रासदी नजर आती है।
आने वाले त्रासदी को लेकर मई फरीदा पंचायत के मुखिया धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि हर साल सरकार के द्वारा बाढ़ से निपटने को लेकर मुकम्मल व्यवस्था के नाम पर बेफिजूल खर्च किया जाता है लेकिन इसका स्थाई निदान अभी तक नहीं निकाला गया। करोड़ों रुपया जर्जर तटबंध की मरम्मति के नाम पर बर्बाद किया जा रहा है। किसानों को अभी से ही अपनी उगाई गई मेहनत की फसल पर बाढ़ का काला साया मंडराता हुआ दिख रहा है।
मई फरीदा पंचायत के स्थानीय निवासी विजय सिंह ने कहा कि अभी किसान पिछले साल की भयानक बाढ़ की त्रासदी को भूले भी नहीं है क्योंकि इसकी भरपाई आज तक सरकार नहीं की गई है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा पंचाने नदी की स्थाई निराकरण को लेकर प्रारूप भी अधिकारियों के तैयार किया गया लेकिन यह प्रारूप फाइलों में ही सिमट कर रह गया जिसके कारण किसानों को एक बार फिर से त्रासदी की दंश की आशंका अभी से ही सताने लगी है।
नालंदा संवाददाता ऋषिकेश