विधायक एवं एसडीओ के प्रयास से बंद पड़े समस्तीपुर संत कबीर काॅलेज में शुरू किया गया विकास निर्माण कार्य

काॅलेज के ही संस्कृत विभाग के शिक्षक सह पूर्व विधायक शील कुमार राय ने कॉलेज के प्रिंसिपल , सचिव और सदर एसडीओ पर कालेज चल रहे निर्माण कार्य और अनुदान भुगतान में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगाया, वर्तमान प्रिंसिपल ने सारे आरोपों को किया खारिज।

कालेज के ही संस्कृत विभाग के शिक्षक सह पूर्व विधायक शील कुमार राय ने कॉलेज के प्रिंसिपल , सचिव और सदर एसडीओ पर कालेज चल रहे निर्माण कार्य और अनुदान भुगतान में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगाया, वर्तमान प्रिंसिपल ने सारे आरोपों को किया खारिज।

डीएनबी भारत डेस्क 

समस्तीपुर संत कबीर काॅलेज में कराए जा रहे निर्माण कार्य और शिक्षकों के बीच अनुदान की राशि वितरण का मुद्दा गरमाता जा रहा है। गौरतलब है कि परीक्षा के दौरान एक छात्र की मौत के बाद कालेज शाशि निकाय के सचिव विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन, सदर एसडीओ के प्रयास से काफी साल से बंद कालेज खाता को खुलवाया गया और कॉलेज में विकास कार्य शुरू किए गए।

साथ ही 2007 से 2010 के बकाया राशि को कालेज के शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों के बीच वितरित भी किए गए है। लेकिन कालेज के ही संस्कृत विभाग के शिक्षक सह पूर्व विधायक शील कुमार राय ने कॉलेज के प्रिंसिपल, सचिव और सदर एसडीओ पर काॅलेज में चल रहे निर्माण कार्य और अनुदान भुगतान में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगाया है।

जबकि काॅलेज के प्रिंसिपल डॉ शिवशंकर राय ने गड़बड़ी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बताया है कि यहां बिल्कुल पारदर्शी तरीक़े से काॅलेज कर्मियों को अनुदान की राशि उनके आरटीजीएस खाते पर दी गई है जबकि निबंधित संवेदक से नियम के अनुरूप निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं।

निर्माण में कतिपय लोगों द्वारा व्यवधान पैदा करने पर स्थानीय पुलिस की मौजूदगी में काम हो रहा है।शिक्षक शील कुमार राय द्वारा जिन शिक्षकों को अवैध बताया जा रहा है उनमें शामिल डॉ सुबोध कुमार, प्रो उपेंद्र राय, प्रो खालिक अहमद, प्रो रिजवान अहमद, डॉ मुकेश कुमार, प्रो मदन कुमार, प्रो विजय कुमार विमल, प्रो अशोक कुमार, प्रो मिथलेश कुमार, प्रो रामपुकार राय आदि का बताना है कि उनकी नियुक्ति 19.4.2007 के बाद की रहने की वजह से चयन समिति नही हो पाई थी।

इसी को लेकर सभी लोग पटना उच्च न्यायालय से चयन समिति कराने का आग्रह किया था जिसे डिसमिस कर दिया गया है लेकिन उन्हें कालेज में कार्य करने के लिए कहीं से अवैध घोषित नहीं किया गया है। सरकारी आदेश के मुताबिक ही अनुदान की राशि उनके खाते में सीधे भेजी गई है। इसलिए काॅलेज के प्रिंसिपल, सचिव पर अनर्गल आरोप लगाया जाना बिल्कुल गलत है। बताया गया है कि आरोप लगाने वाले शिक्षक प्रो शील कुमार राय संस्कृत विषय में कार्यरत है जिसमें कई साल से एक भी छात्र नामांकित नहीं है।

इसी प्रकरण को लेकर जब प्रिंसपल ने कार्रवाई का मन बनाया तो अदावत में सम्बंधित शिक्षक ने अशोभनीय आरोप लगाना शुरू कर दिया है। काॅलेज के प्रिंसपल, शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों ने करीब दस साल से बन्द पड़े कालेज खाता को खुलवाकर उनका अनुदान वितरित करने और कॉलेज में विकास कार्यो को शुरू करवाने में अहम भूमिका निभाने वाले सचिव अख्तरुल इस्लाम शाहीन, अध्यक्ष उमेश राय, सदर एसडीओ को विशेष तौर पर साधुवाद दिया है।

समस्तीपुर संवाददाता अफरोज 

Samastipur