एमडीए के टेबलेट सेवन करने वाले स्कूली बच्चे हुए दर्द से पीड़ित, अफवाहों से क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त

 

टेबलेट के सेवन करने पर किसी किसी में किसी तरह की सिम्टम्स आती है पर इससे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है यह स्वतः डेढ़ से दो घंटे में सामान्य हो जाती है। किसी में अगर फाइलेरिया की शिकायत रहती है तो वायरस एक्टिव हो जाता हैडॉ संजय कुमार 

डीएनबी भारत डेस्क

बरौनी प्रखण्ड क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम पंचायत राज पिपरा देवस गांव के वार्ड संख्या -15 स्थित एक उर्दू प्राथमिक विद्यालय पिपरा देवस में बीते शनिवार को सर्वजन सेवन करने वाली एमडीए/ फैलेरिया दवा का सेवन कराया गया था। जिससे उर्दू विद्यालय में अध्यनरत बच्चों में 15 बच्चों में रिएकटीवेशन की सिम्टम्स आने लगी। जहां तक संभव हो सकता था बच्चों ने सहन किया पर रविवार को इस मामले को लेकर एक अफवाहों पर क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त हो गया। अफवाह यह फैलाया जा रहा था कि यहां के बच्चे की स्थिति काफी दयनीय है सब कुछ सिमट जाएगा तब आप लोग आइयेगा और स्थिति को देखिएगा।

यह केवल अफवाहों में सिमटी नहीं रही बल्कि डायल -102/104/112 , स्थानीय प्रशासनिक पदाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी, चिकित्सा पदाधिकारी सहित अन्य अधिकारी एवं स्थानीय विधायक को भी इसी प्रकार से जानकारियां दी जा रही थी। जिससे और भी मामला गहराता चला गया। वसतुतः जब स्वास्थ्य विभाग की टीम पहूंच कर मामले की छानबीन शुरू किया तो मामला ढाग का तीन पात निकला यूं कहें तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया। दरअसल वहां एमडीए फैलेरिया दवा से कम वहां के विद्यालय प्रधान द्वारा उस खास समुदाय के स्थानीय भाषा में डीम/अंडा नहीं दिए जाने को लेकर मामला तूल पकड़ लिया था।

मामला एमडीएम का था और ठिकड़ा एमडीए फैलेरिया की टैबलेट पर फोड़ा गया। जिस कारण वहां अफवाहों की भेंट चढ़ गई एमडीए फैलेरिया कार्यक्रम की टेबलेट। इसका एक कारण यह भी रहा है कि लॉ लिभिंग, लॉ थिंकिंग और लॉ एजूकेशन भी। वहीं इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बरौनी डा संतोष कुमार झा ने बताया कि फैलेरिया कार्यक्रम को लेकर पंचायत समिति की बैठक में भी जानकारी दी गई थी। पर वहां किसी भी जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई सहयोग नहीं किया गया और उल्टे सीधे जानकारी दुरभाष पर दी जा रही थी।

उन्होंने बताया कि जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की चिकित्सक दल, 102 एम्बुलेंस टीम तत्क्षण मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण करने में जूट गया। जिन 15 स्कूली बच्चों में रिएकटीवेशन का कोई भी एक सिम्टम्स आई थी उसे एडवांस लाइफ स्पोर्ट्स एम्बुलेंस, बेसिक लाइफ स्पोर्ट्स एम्बुलेंस से अस्पताल लाया गया। जहां चिकित्साविद विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी डा अमृता कुमारी के देखरेख में इलाज किया तथा हम स्वयं पहूंचकर सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया और सभी की स्थिति सामान्य थी तथा सभी ख़तरे से बाहर थे।

वहीं इस संबंध में जानकारी देते चिकित्सक नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक अनुमंडल अस्पताल दलसिंहसराय समस्तीपुर डा विजयंत सदर अस्पताल बेगूसराय डा संजय कुमार ने बताया कि टेबलेट के सेवन करने पर किसी किसी में किसी तरह की सिम्टम्स आती है पर इससे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है यह स्वतः डेढ़ से दो घंटे में सामान्य हो जाती है। किसी में अगर फाइलेरिया की शिकायत रहती है तो वायरस एक्टिव हो जाता है। वहीं इलाज कर रहे चिकित्सक डा अमृता कुमारी ने बताया कि 15 स्कूली बच्चों में रिएकटीवेशन की सिम्टम्स आई थी।

डिजिनेस, पेन एवडोमेन, ओरनोजिया जैसी सिम्टम्स फैलेरिया दवा के सेवन करने से आ सकती है। जिसमें 15 स्कूली बच्चों में एक पिपरा देवस गांव निवासी सहबाज के 9 वर्षीय पुत्री आईसा खातुन को आई थी। जिसे भी तत्क्षण मेडिसिन एवं फ्लूड से कवर कर लिया गया। शेष 14 बच्चे मारियम खातुन, हुमैरा प्रवीण, हसीना खातुन, साबरा खातुन, मो फैजल, अब्दुल मेराज, मो आबित, मो मुससेफ, मो अबुजर मो नवी आलम, हुसैना, नुसरत खातुन, साहिस्ता प्रवीण, उममै हबीबा सभी बच्चों में रिएकटीवेशन का कोई खास लक्षण नहीं पाई गई बस वह घबराई हुई थी। उन्होंने पूछे जाने पर कहा कि फैलेरिया टेबलेट का डोज 2 से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बॉडी वेट निर्धारित है।जिस आधार पर दवा का सेवन कराया गया है। वहीं डायल 112 एवं स्थानीय लोगों से सुचना पाते ही बरौनी थाना पुलिस भी मौके पर पहूंच मामले की जानकारी ली।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट