डीएनबी भारत डेस्क
बेन प्रखंड के अकौना पंचायत के तोड़लबिगहा गांव आजादी के 74 वर्ष बाद भी सरकारी सुविधा से महरूम है। यह गांव के सरस्वती नदी पर पुल नही होने के कारण बरसात में लोग गांव में तीन महीने के लिए कैद हो जाते है। पढ़ने वाले बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। गांव के लोगों द्वारा देहाती जुगाड़ नाव बनाकर नदी से पार होते है।
देहाती जुगाड़ से बनाये गये नाव पर सिर्फ दो आदमी ही एक साथ में चढ़ कर पार होते है। अगर थोड़ी सी भी चुक हुई तो गहरे पानी में डुब कर मौत हो सकती है। यह गांव की आबादी चार सौ के लगभग है। रात्रि में अगर कोई बीमार हो जाता है तो गांव से बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं है।
ग्रामीणों ने बताया की जब चुनाव आता है तो मंत्री श्रवण आते है और आश्वासन देकर चले जाते है। फिर दुबारा जीतने वाले जनप्रतिनिधि इस गांव को देखने नही आते है। ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में दीपक तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रहा है क्योंकि बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार इसी वेन प्रखंड के निवासी हैं
और पिछले 25 सालों से विधायक है। इस तोड़ल बीघा गांव नदी में पुल नहीं रहने के कारण कोई व्यक्ति बाहर नहीं जा पाते हैं। बच्चों का पढ़ाई लिखाई सब बंद हो जाते है। गांव से निकलने का एक ही रास्ता है, जो पानी से बरसात में भर जाता है। पुल नहीं होने के कारण इस गांव में लोग शादी करने से भी कतराते है।
वही अकौना पंचायत के मुखिया अभय सिंह ने बताया की जनसंबाद कार्यक्रम के दौरान इस गांव की समस्या को लेकर वरीय पदाधिकारियों को सूचना दिया गया था लेकिन इस वर्ष लोकसभा चुनाव और बरसात के कारण यह पुल का निर्माण नहीं हो सका।बरसात के बाद जल्द ही पुल का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
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