डीएनबी भारत डेस्क
देश के विभिन्न राज्यों के बाद पशुओं में पाए जाने वाला लंपी वायरस अब बेगूसराय जिले में भी धीरे धीरे अपना पांव पसार रहा है। गत माह लंपी वायरस के चपेट में जिले के मंझौल पंचायत की दो गायें आयी थी। अब इस वायरस का प्रकोप वीरपुर प्रखंड के डीहपर गांव में देखने को मिल रहा है। अब तक यहां करीब आधे दर्जन से अधिक गाय एवं बछिया इस वायरस ने अपनी चपेट में आ चुकी है। समय रहते यदि पशु स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस गंभीरता ने नहीं लिया गया तो यह संक्रामक रोग अन्य पशुओं को भी संक्रमित कर सकता है। लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लेने के कारण अब लोग सवाल भी उठाने लगे हैं।
बताया जाता है कि डीहपर गांव के पशुपालक संजय कुमार सिंह की एक गाय, अनिल अकेला की एक गाय एवं एक बछिया, अमित कुमार पप्पु की दो गाय एवं एक बछिया, मंटून सिंह की एक बछिया और रितेश कुमार की एक गाय को लंपी वायरस ने अपनी चपेट में लिया है। यह संख्या और अधिक हो सकती है। यहां कई पशु इस संक्रामक रोग से करीब दो सप्ताह या इससे अधिक समय से पीड़ित है। स्थानीय पशुपालकों का कहना है कि शुरुआती दौर में ही सरकारी पशु चिकित्सकों से संपर्क किया गया। लेकिन किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं मिली। स्थानीय चिकित्सकों की मदद से इन पशुओं का उपचार किया जा रहा है। पशुओं को समुचित इलाज नहीं मिलने से पशुपालक काफी परेशान हैं ।
वीरपुर प्रखंड के पशु अस्पताल फजिलपुर के पशु चिकित्सक डॉ पंकज कुमार ने बताया की लंपी रोग पशुओं में होने वाली संक्रामक रोग है। यह कैप्रिपाक्स वायरस के कारण फैलता है। लंपी स्किन डिजीज के प्रमुख लक्षण पशु को बुखार आना, वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, लार बहना, शरीर पर दाने निकलना, दूध कम देना और भूख नहीं लगना है। इससे बचाव के लिए संक्रमित पशु को अन्य पशु से अलग रखा जाना चाहिए। तबेले की साफ-सफाई, मच्छरों एवं मक्खियों को भगाने के लिए स्प्रे करना चाहिए। समय-समय पर पशुओं का टीकाकरण कराना चाहिए। साथ संक्रमित पशुओं का उपचार कुशल चिकित्सक से करवाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अब जिले में टीके भी उपलब्ध हो गए हैं और जल्द ही प्रभावित पशुओं को छोड़कर स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा।
बेगूसराय से सुमित कुमार (बबलू)