डीएनबी भारत डेस्क
संसद में पेश केन्द्रीय बजट किसान विरोधी और कॉर्पोरेटजीवी है। सरकार ने वादा किया था कि किसानों की आय दोगुणा होगी। मगर इस बजट में किसानों के हित में कोई वित्तीय प्रावधान नहीं है। सरकार ने किसानों को एमएसपी देने का वादा किया था। मगर मंडी कानून लागू करने के लिए बजट में कोई प्रावधान नही है। किसानों को सिर्फ हसीन सपना दिखाया गया है। जबकि सारा मलाई कॉरपोरेट को सुपुर्द कर किसानों के हाथ में झुनझुना थमा दिया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अशोक प्रसाद सिंह, दिनेश कुमार,अनिल कुमार सिंह और अमेरिका महतो ने ब्यान जारी करते हुए कहा कि प्रगति और विकास के तमाम दावों के बाद भी बजट मे गांव, गरीब और किसान की उपेक्षा जारी है। भारत गांवों का देश है और भारत कृषि प्रधान है। 70% आबादी आज भी कृषि पर निर्भर है। इसलिए बजट का न्याय संगत बँटवारा होता तो कम से कम 70% कृषि और गांव के विकास पर बजट में वित्तीय प्रावधान होता। परंतु कम से कम जीडीपी में कृषि का जितना योगदान है।
उसको पूरा करने के लिए इस बजट में कोई प्रावधान नहीं है।यह बजट किसानों को बरगलाने के सिवा किसानों को इसमें कुछ भी नहीं मिला है बिहार में मंत्रकोषी क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण हेतु 1150 करोड रुपए का प्रावधान है जबकि संपूर्ण उत्तर बिहार बाढ़ एवं जल जमाव तथा दक्षिण बिहार भयानक सूखा से तबाह इसका स्थाई निदान हेतु स्पेशल योजना बिहार को चाहिए जो बजट में नहीं है सभी नेहरू का आधुनिकीकरण एवं कृषि कार्य हेतु मुक्त बिजली का प्रावधान बजट में किया जाए तभी किसी का और किस का भला हो सकता है बजट में जो कृषि के बारे में गोल मटोल बात की गई है
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