केन्द्रीय बजट किसान विरोधी है, देश में 70 प्रतिशत किसान के बावजूद कार्पोरेट को बजट से होगा फायदा, किसान को मिला झुनझुना – किसान संयुक्त मोर्चा

 

डीएनबी भारत डेस्क

संसद में पेश केन्द्रीय बजट किसान विरोधी और कॉर्पोरेटजीवी है। सरकार ने वादा किया था कि किसानों की आय दोगुणा होगी। मगर इस बजट में किसानों के हित में कोई वित्तीय प्रावधान नहीं है। सरकार ने किसानों को एमएसपी देने का वादा किया था। मगर मंडी कानून लागू करने के लिए बजट में कोई प्रावधान नही है। किसानों को सिर्फ हसीन सपना दिखाया गया है। जबकि सारा मलाई कॉरपोरेट को सुपुर्द कर किसानों के हाथ में झुनझुना थमा दिया गया।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अशोक प्रसाद सिंह, दिनेश कुमार,अनिल कुमार सिंह और अमेरिका महतो ने ब्यान जारी करते हुए कहा कि प्रगति और विकास के तमाम दावों के बाद भी बजट मे गांव, गरीब और किसान की उपेक्षा जारी है। भारत गांवों का देश है और भारत कृषि प्रधान है। 70% आबादी आज भी कृषि पर निर्भर है। इसलिए बजट का न्याय संगत बँटवारा होता तो कम से कम 70% कृषि और गांव के विकास पर बजट में  वित्तीय प्रावधान होता। परंतु कम से कम जीडीपी में कृषि का जितना योगदान है।

कृषि पर निवेश उसी अनुपात में अवश्य होना चाहिए। बजट में किसानों को सस्ते दर पर कृषि के लिए उत्पादन के साधन, समय पर गुणवत्तापूर्ण खाद, बीज, कीटनाशक और कृषि यंत्र उपलब्ध हो तथा किसान पक्षी सभी फसलों का फसल बीमा और समर्थन मूल्य पर सभी कृषि पैदावार की खरीदने के लिए बाजार उपलब्ध हो। बजट इस पर मौन है।कॉर्पोरेट पक्षी वर्तमान प्रधानमंत्री फसल बीमा की जगह किसान पक्षी सरकारी बीमा कंपनियों द्वारा सभी फसलों का बीमा की गारंटी होना चाहिए। विश्व का अजूबा,ऐतिहासिक दिल्ली किसान आंदोलन के दौर में सरकार ने जो कुछ लिखित आश्वासन किसानों को दिया था।

उसको पूरा करने के लिए इस बजट में कोई प्रावधान नहीं है।यह बजट किसानों को बरगलाने के सिवा किसानों को इसमें कुछ भी नहीं मिला है बिहार में मंत्रकोषी क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण हेतु 1150 करोड रुपए का प्रावधान है जबकि संपूर्ण उत्तर बिहार बाढ़ एवं जल जमाव तथा दक्षिण बिहार भयानक सूखा से तबाह इसका स्थाई निदान हेतु स्पेशल योजना बिहार को चाहिए जो बजट में नहीं है सभी नेहरू का आधुनिकीकरण एवं कृषि कार्य हेतु मुक्त बिजली का प्रावधान बजट में किया जाए तभी किसी का और किस का भला हो सकता है बजट में जो कृषि के बारे में गोल मटोल बात की गई है

उससे कोई लाभ अभी किसानों को नहीं मिला है पर्यावरण आधारित खेती की बात बजट में की गई है तो सबसे पहले जिन्होंने पर्यावरण का दोहन कर बेशुमार दौलत जमा किया है उन पर टैक्स लगना चाहिए तथा जलवायु परिवर्तन से किसानों को जो खेती में नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई के लिए किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए परंतु बजट में ऐसा कुछ नहीं है कोऑपरेटिव खेती का बढ़ावा के बजट में कोई प्रावधान नहीं है इसलिए वर्तमान बजट किसानों को खुश लाने की शिवा इसमें किसानों को कुछ भी नहीं मिल रहा है संजू किसान मोर्चा केंद्र सरकार से मांग करती है की बजट में संशोधन कर किस पक्षी बजट बनाया जाए।

डीएनबी भारत डेस्क