कल्पवास से सनातन धर्म की जागृति होती है-बौआ हनुमान

 

राजा जनक ही सिमरिया तट पर कल्पवास की परम्परा की शुरुआत की है।

डीएनबी भारत डेस्क

कल्पवास से सनातन धर्म की जागृति होती है। कल्पवास का मुख्य उद्देश्य है कि हम अपने धर्म का संरक्षण करें। कल्पवास से हमें संत, महन्त, महामंडलेश्वर और जगतगुरु का संरक्षण प्राप्त होता है। उक्त मार्मिक और अनमोल वचन रविवार को आदिकुंभस्थली सिमरिया धाम के गंगा नदी तट पर कल्पवास कर रहे परमपूज्य गुरुदेव स्वामी मिथलेश दास उर्फ बौआ हनुमान जी ने कहा। आगे उन्होंने कल्पवास पर कहा कि रामायण में यह उधृत है कि सिमरिया तट पर मिथिला के राजा विदेह राजा जनक तपस्या के रूप में कल्पवास करते थे।

राजा जनक ही सिमरिया तट पर कल्पवास की परम्परा की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि राजा जनक देह रहते हुए भी वह परमात्मा में लीन रहते थे। वह शरीर रहते हुए देव लोक को भी चले जाते थे। इसलिए वह विदेह कहलाते थे। आगे उन्होंने कहा कि कल्पवास हमें स्वास्थ्य संबंधी स्फूर्ति प्रदान करता है। इससे आयू की वृद्धि होती है। कथावाचक बौआ हनुमान जी ने यह भी कहा कि कल्पवास एक मोक्ष का कारण है। आधुनिक काल में यहां बान परस्त है।

मौके पर प्रमिला देवी, अशोक झा, विश्वनाथ झा, पुर्णिमा देवी, गीता देवी सहित अन्य उपस्थित रहे संत आश्रम को सुचारू रूप से संचालित करते हैं। और स्नेह से अभिभूत हो संत महन्त और फिर आगंतुकों का सेवा करते हैं। वहीं अर्ध कुंभ सह राजकीय कल्पवास मेला 2023 में सिमरिया धाम में साधु संतों महंतों, खालसा धारियों, महामंडलेश्वर, कथावाचकों, कवियों एवं साहित्यकारों के जमावड़ा से सिमरिया धाम में भक्ति रस की धारा बह रही है। श्रद्धालु भक्ति के अमृत रस में गोता लगाकर पुण्य का भागी और साक्षी बन रहे हैं।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट