जन सुराज पदयात्रा का 56वां दिन – सुगौली से रामगढ़ावा पहुंचे प्रशांत किशोर, कहा – बीपीएससी में भ्रष्टाचार का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा
डीएनबी भारत डेस्क
जन सुराज पदयात्रा के 56वें दिन आज प्रशांत किशोर पूर्वी चंपारण के सुगौली से रामगढ़वा की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। सुगौली प्रखंड से निकलने से पूर्व रोशनपुर सपहा स्थित जन सुराज पदयात्रा कैंप में उन्होंने स्थानीय पत्रकारों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उन्होंने पदयात्रा के अब तक के अपने अनुभव को साझा किया और आगे की रूपरेखा पर भी बातचीत की। जन सुराज पदयात्रा पिछले 7 दिनों से पूर्वी चंपारण जिले में है, इस दौरान पदयात्रा पहाड़पुर प्रखंड से चलते हुए अरेराज, हरसिद्धि, तुरकौलिया होते हुए सुगौली पहुंची है। आज पदयात्रा रोशनपुर सपहा गांव से चल कर खोनरा, मानसिंघा, नकरदेई, बक्सा, लेधिहार, रघुनाथपुर, खुटिहरवा, बहुआरी, बगही, सिरखंडी, चैनपुर, रामगढ़वा प्रखंड के बेदिहरवा, मुरला, बेला, सिहोरवा, अहिरौलिया, सिसवानिया होते हुए रामगढवा प्रखंड के बहुवलिया गांव पहुंचेगी।
बीपीएससी समेत सभी सरकारी परीक्षाओं की प्रक्रिया में काफी अनियमितता और भ्रष्टाचार
सुगौली प्रखंड के रोशनपुर सपाहा गांव में प्रशांत किशोर ने मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “बीपीएससी और सरकारी नौकरियों को लेकर, जितनी तरह की प्रक्रिया बिहार में चल रही है, उसकी विश्वसनीयता को लेकर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह पिछले कई सालों के आधार पर लोगों के मन में है। मेरे साथ पदयात्रा में कई लड़के हैं, जिन्होंने उस भ्रष्टाचार के दंभ को झेला है। कटऑफ जो जारी हुआ है उसमें विद्यार्थियों का आरोप है कि उसमें हेरफेर किया गया है। नौकरी को लेकर इतनी अफरा-तफरी है। रोजगार कम है, अधिक संख्या में बेरोजगार लोग हैं। इसलिए हर तरीके का जुगत लगाकर लोग सरकारी नौकरी चाहते हैं। और सरकार अपने सरकारी व्यवस्था को सुचारू रूप से चला पाने में असक्षम है, इसके कारण छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तो छोड़िए पढ़ाई ही नहीं हो रही है
बिहार में शिक्षा की स्थिति पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तो छोड़िए, पढ़ाई भी नहीं हो रही है। मैं हरसिद्धि प्रखंड के तुरकौलिया में विद्यालय में रुका वहां छात्राओं ने सामने से दिखाया कि कैसे उन्हें मिड-डे-मील में उन्हें कीड़े वाली खिचड़ी दी जाती है। शिक्षक 11:00 विद्यालय आते हैं और 1:00 बजे स्कूल की छुट्टी हो जाती है, और वह विद्यालय उस क्षेत्र का सबसे अच्छा सरकारी स्कूल माना जाता है। हम इसका वीडियो भी शीघ्र ही जारी करेंगे।” साथ ही स्वास्थ्य व्यवस्था पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों में मैं जा रहा हूं, ज्यादातर गांवों में सरकारी कागजों पर भी अस्पताल नहीं है।
निषाद समाज जो अपने जीवन यापन के लिए जलाशयों पर आश्रित है, सरकार की ओर से उनके लिए कोई सुनियोजित व्यवस्था नहीं की गई है
बदहाल जलाशयों की स्थिति को उजागर करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “मल्लाह, निषाद या समाज के जो लोग जीवन जीवन यापन के लिए जलाशयों पर आश्रित हैं, उसका कोई सुनियोजित विकास यहां देखने को नहीं मिला। हजारों एकड़ जमीन में जलकुंभी पड़ा हुआ है, अगर इसे स्वच्छ करके इसका विकास किया जाए तो वह वर्ग जो आय के लिए इस पर निर्भर है, उसको फायदा होगा और जहां विकास हुआ भी है वहां प्रभुत्व दबंगों के हाथ में है।”
पूर्वी चंपारण के अरेराज और पहाड़पुर प्रखंड में बेतिया राज की जमीन पर लोगों का मालिकाना हक नहीं
गैर मजरूआ जमीन की समस्या पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “अरेराज और पहाड़पुर प्रखंड में जो हजारों एकड़ कीगैर मजरूआ जमीन है, जिसे खाता नंबर 82 के नाम से भी जानते हैं। 2016 के बाद बेतिया राज की वह जमीन जिस पर लोगों का मालिकाना हक जो वर्षों से है, उसका दाखिल खारिज नहीं हो रहा है, ये जमीन लोग बेच नहीं सकते, इससे हजारों लोगों का नुकसान हो रहा है।”
अन्य समस्याओं पर मीडिया का ध्यान केंद्रित करते उन्होंने कहा कि सुगौली मिल से जो पानी निष्कासित किया जा रहा है, बूढ़ी गंडक में इथेनॉल वाला पानी जा रहा है। इससे जल और वायु प्रदूषण दोनों हो रहा है। इसके लिए हम हर पंचायत में वहां की समस्याओं और विकास की संभावनाओं दोनों का संकलन कर रहे हैं। हर पंचायत में जाकर निचले स्तर पर स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं।