बिहार अध्यापक नियमावली के विरोध में शिक्षको ने मुख्यमंत्री,उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मत्री का पुतला दहन कर किया विरोध

महागठबंधन सरकार के द्वारा चुनावी घोषणापत्र के माध्यम से बिहार के लाखों शिक्षकों से वादा किया गया था की सभी नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा, नियमित शिक्षकों के समान सेवाशर्त, समान काम का समान वेतन और पुरानी पेंशन की व्यवस्था की जाएगी।

डीएनबी भारत डेस्क 

बेगूसराय में आज बिहार अध्यापक नियमावली 2023 के खिलाफ शिक्षकों का आक्रोश गहराता ही जा रहा है। आज जिले के तमाम प्रखंडों के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों ने बिहार अध्यापक नियमावली के खिलाफ शिक्षकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एवं शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर यादव का पुतला जलाकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

इस दौरान बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ द्वारा आज बिहार सरकार खिलाफ जमकर हो हंगामा और नारेबाजी की। गौरतलब है कि महागठबंधन सरकार के द्वारा चुनावी घोषणापत्र के माध्यम से बिहार के लाखों शिक्षकों से वादा किया गया था की सभी नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा, नियमित शिक्षकों के समान सेवाशर्त, समान काम का समान वेतन और पुरानी पेंशन की व्यवस्था की जाएगी।

इसके विपरीत कैबिनेट के द्वारा स्वीकृत बिहार राज्य अध्यापक नियमावली 2023 से पूर्व से बहाल शिक्षकों को पूर्णतः अलग थलग रखकर लाखो शिक्षकों की भावनाओं को ठेस पहुंचा है और वे सरकार की वादाखिलाफी से मर्माहत है तथा उनके अंदर विभाग और सरकार के प्रति व्यापक रोष है। बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष साकेत सुमन ने कहा कि सहायक शिक्षक के पद को पुनर्जीवित करने के बजाय सरकार विद्यालय अध्यापक के नये पद पर बहाली का नियमावली लाई है जो न केवल शिक्षकों के साथ बल्कि बिहार के करोड़ों करोड़ बच्चों के साथ भी धोखा है।

एक ही विद्यालय में सहायक शिक्षक नियोजित शिक्षक और विद्यालय अध्यापक जैसे बहुरंगी पद सृजित करके भेदभाव की संस्कृति कायम की जा रही है जो हमारे संवैधानिक मूल्यों के भी खिलाफ है। सुवे के शिक्षकों तदनुरूप सेवाशर्त के लिए विभागीय परीक्षा देने को तैयार हैं। लेकिन विद्यालय अध्यापक जैसे संशोधित पदों के नाम पर कार्यरत शिक्षकों की हकमारी कत्तई बर्दाश्त नही करेंगे।

वही प्रधान सचिव राम कल्याण पासवान ने कहा कि बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियमावली 2023 मे पूर्व से बहाल सभी शिक्षकों को समाहित करते हुए बिना किसी शर्त के राज्यकर्मी का दर्जा तथा नियमित शिक्षकों की तरह समान काम समान वेतन एवं सेवा शर्त दिया जाए। अन्यथा की स्थिति मे बिहार के लाखों शिक्षक असहयोग आंदोलन एंव अन्य बड़े और क्रमबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे, जिसकी सारी जवाबदेही सरकार की होगी।

बेगूसराय संवादाता सुमित कुमार बबलू की रिपोर्ट