प्रकृतिक आपदा के समय पालतू पशुओं को भूखमडी से बचाने के लिए पशु चिकित्सालय खोदावंदपुर में लाखों रुपये की लागत से विभाग द्वारा पशुचारा मशीन उपलब्ध करवाया गया।विभागीय उपेक्षा और पदाधिकारियो की देखरेख के अभाव में उक्त मशीन को जंग खा रहा है।
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय जिला के खोदावंदपुर प्रखण्ड में प्रकृतिक आपदा के समय पालतू पशुओं को भूखमड़ी से बचाने के लिए पशु चिकित्सालय खोदावंदपुर में लाखों रुपये की लागत से विभाग द्वारा पशुचारा मशीन उपलब्ध करवाया गया है। जो फिलवक्त विभागीय उपेक्षा और पदाधिकारियों की उचित देखरेख के अभाव में उक्त महंगी मशीन को जंग खा रहा है।
पशु चिकित्सालय परिसर में 21 लाख रुपये की लागत से उपलब्ध कराई गई पशुचारा मशीन पशुपालकों को मुंह चिढ़ा रही है। इतना ही नहीं पशुचारा मशीन द्वारा तैयार चारा को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया भवन भी अधूरा पड़ा है। यूं कहा जाए कि बाढ़ एवं सुखाड़ जैसी प्राकृतिक आपदा कि स्थिति में पशु पालकों को पशुचारा से निपटने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई महत्वाकांक्षी योजना धूल फांक रही है।
सत्र 2007-08 में तकरीबन 21 लाख रुपये की लागत से सरकार ने पशु पालक के हित को ध्यान में रखते हुए खोदावंदपुर पशु चिकित्सालय में पशुचारा मशीन उपलब्ध करवाया था। यह मशीन कई वर्षों तक गढ़पुरा प्रखंड में यूं ही फेका पड़ा था। मीडिया के द्वारा पशुचारा मशीन की दुर्दशा की खबर को सुर्खियों में लाया गया था। तब जाकर आनन फानन में पदाधिकारियों ने उक्त मशीन को गढ़पुरा से उठाकर खोदावंदपुर स्थित पशु चिकित्सालय के समीप खुले आसमान के नीचे जैसे तैसे रख दिया था।
जिसके बाद से खोदावंदपुर पशु चिकित्सालय परिसर में पशुचारा मशीन विभागीय उदासीनता के कारण जंग का शिकार हो रही है। पशुचारा मशीन उपलब्ध करवाने उपरांत वर्ष 2007-08 में ही पशुचारा भवन बनाने के लिए विभाग द्वारा आवंटित साढ़े चौदह लाख रुपये से भवन बनना आरंभ हुआ।एक दशक बीतने के बावजूद भी पशुचारा भवन आजतक अधूरा पड़ा है। फिलवक्त सरकार की यह जन कल्याणकारी योजना धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है।
इस संदर्भ में पूछने पर भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि पशुचारा बैंक भवन का निर्माण ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग द्वारा शुरू करवाया गया था। जो अबतक पूर्ण नहीं हुआ है।
बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नीतेश कुमार गौतम