गुरू पूर्णीमा के अवसर सिमरिया धाम सर्वमंगला अध्यात्म योगपीठ आश्रम में जुटी श्रद्धालुओं की भाड़ी भीर।
डीएनबी भारत डेस्क
हम सनातनी हैं, विश्व में सनातन धर्म ही ऐसा धर्म है, जिसका न आदि है न अंत। हम भारतीय माता, पिता और गुरु को ही अपना सर्वस्व मानते हैं। उनके द्वारा बताए रास्ते पर चल कर अपने जीवन की सार्थकता सिद्ध करते हैं। क्योंकि हम भारतीय देव ऋण, पितृ ऋण तथा गुरु ऋण को प्रमुखता से चुकाते हैं, तभी भारतीय कहलाते हैं।
सिमरिया धाम में अनादि काल से कल्पवास की परम्परा चली आ रही हैं, आगे भी चलता रहेगा। हमारे प्रधानमंत्री सम्पूर्ण विश्व के कल्याण की कामना से कार्य करते हैं, वे आदि कुंभ स्थली सिमरिया धाम को अपनी मान्यता प्रदान कर सच्चे भारतीय का कर्तव्य निभाया है, वैसे भी उनका सम्पूर्ण जीवन राष्ट्रहित के लिए समर्पित है। हम भारतीय जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के लिए विभिन्न संस्कारों को प्रमुखता से अपनाते हैं।
क्योंकि दानवत्व से मानवत्व और मानवत्व से देवत्व तक का सफर पूरा कर पूरनत्व तत्व प्राप्त करने के लिए हम वेदों पर आधारित मर्यादाओं को प्रमुखता से पालन करते हैं और इसके लिए हम संस्कृत भाषा को अपना कर अपनी संस्कृति की रक्षा करते हैं। उक्त बातें गुरु पूर्णिमा के अवसर पर देश को संदेश देते हुए करपात्री अग्निहोत्री प्रातः स्मरणीय परम पूज्य गुरुदेव स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जहां से भौतिक अनुसंधान का अंत होता हैं, वहां से आध्यात्मिक अन्वेषण शुरू हो जाते हैं और यह अनुसंधान जगत के कल्याण के लिए तो ही हो रहा है। मिथिला में अनादि काल से मंथन हो रहा है। जहां जिह्वा से सरस्वती सरसती हैं। वही तो मिथिला है। सिमरिया धाम मिथिला का प्रवेश द्वार पर स्थित है। मिथिला ज्ञान और दान की भूमि हैं, यहां पर सौभाग्यशाली ही जन्म लेते हैं।
मिथिला ने आदि कुंभ को पुनर्स्थापित कर विश्व में भारत का मान बढ़ाया है। क्योंकि जो भार से मुक्त हैं, वही भारत है। वहीं इस अवसर पर चिदात्मन जी महाराज ने सभी सर्वमंगला शिष्यों को आगामी अर्द्ध कुंभ की तैयारी पावन पर्व की तरह करने का आह्वान किया है। अतिथियों की सेवा और कुंभ पर सम्पूर्ण विश्व के कल्याण हेतु कामना की भावना रखने का आह्वान किया है।
मौके पर व्यवस्थापक रविन्द्र ब्रह्मचारी, मीडिया प्रभारी नीलमणि रंजन, महासचिव राजकिशोर सिंह, सचिव दिनेश प्रसाद सिंह, प्रो प्रेम कुमार, उषारानी, नवीन प्रसाद सिंह, सुशील चौधरी, राजा झा, तरुण सिंह, सुबोध सिंह, रत्नेश पाठक, नारायण झा, रमेश झा, दिनेश झा, राजेश झा, शंभु मिश्र, हरिनाथ मिश्र, कौशलेंद्र सिंह, रितेश कुमार, श्याम झा, राम झा, लक्षण झा समेत हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धर्मवीर कुमार