डीएनबी भारत डेस्क
हिन्दी भाषा की मुख्य विशेषता सबको साथ लेकर और सबको आत्मसात करते हुए चलाने की है। सबको साथ एवं सबको आत्मसात करते हुए बरौनी रिफाइनरी अपने कार्यालय में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने की ओर अग्रसर है। 14 सितंबर से 29 सितंबर तक आयोजित हो रहे हिन्दी पखवाड़े के तहत दिनांक 24 सितंबर को राजकीय पॉलिटेक्निक, बरौनी में ‘अमृत काल में हिन्दी’ विषय पर हिन्दी व्याख्यान का आयोजन किया गया। वक्ता के रूप में श्री दिव्यानन्द, असिस्टेंट प्रोफेसर, विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को आमंत्रित किया गया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राजकीय पॉलिटेक्निक, बरौनी के प्राचार्य प्रो सुशील कुमार ने की। कार्यक्रम का संचालन युवा कवि सुधांशु शेखर ‘फिरदौस’ ने किया। कार्यक्रम की प्रस्तावना और वक्ता का परिचय बरौनी रिफाइनरी के वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी शरद कुमार द्वारा दिया गया। इस अवसर पर बरौनी रिफाइनरी द्वारा आयोजित कविता पाठ प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थियों को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता दिव्यानंद ने हिन्दी के साहित्यिक एवं राजभाषायी पहलू पर विस्तारपूर्वक अपनी बात रखी। इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री दिव्यानंद ने कहा कि ‘भाषा आपसी जुड़ाव और लगाव का सशक्त माध्यम है।
हिन्दी भाषा में वह ताकत है कि वह सभी को अपने साथ लेकर चल सके और सभी भाषाओं के शब्दों को अपने में समाहित करते हुए हिन्दी निरंतर गतिशील है। अमृत काल की कल्पना हिन्दी के बिना के ही नहीं जा सकती है। भाषायी और सांस्कृतिक विविधता वाले हिंदुस्तान में हिन्दी के माध्यम से ही राष्ट्रीय एका की बात संभव है बशर्ते कि हम हिन्दी का प्रयोग करते हुए उदार मन से सभी भारतीय भाषाओं को हिन्दी में सम्मिलित करते हुए आगे बढ़ें। भारतीय संविधान में वर्णित अनुच्छेद 351 की परिकल्पना इसी को ध्यान में रखकर की गई थी। भाषा समाज की संपत्ति है, अतः हम सभी इसे मिलकर आगे बढ़ाएं और इसका संवर्धन करें।’ अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रो कुमार ने हिन्दी के महत्व और आजादी में हिन्दी के योगदान पर प्रकाश डाला तथा उत्कृष्ठ आयोजन के लिए बरौनी रिफाइनरी के प्रति आभार प्रकट किया।