नगर निकाय चुनाव पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, ओबीसी आरक्षण मान्य नहीं

हाई कोर्ट ने कहा 2010 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ही आरक्षण होगा मान्य। सरकार को ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया करनी होगी पूरी। चुनाव आयोग कर सकती है कार्यक्रम में बदलाव। चुनाव आयोग शाम 4 बजे प्रेस कांफ्रेंस कर देगी ओबीसी आरक्षण और चुनाव पर विशेष जानकारी

 

बिहार में नगर निकाय चुनाव पर रोक: पटना हाईकोर्ट ने कहा-राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं किया

डीएनबी भारत डेस्क 

बिहार में चल रहे नगर निकाय चुनाव को लेकर पटना हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। पटना हाईकोर्ट ने राज्य में चल रहे निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दिया है। पटना हाई कोर्ट ने कहा है कि बिहार सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने पिछड़े वर्ग के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। हाई कोर्ट ने सबसे ज्यादा नाराजगी राज्य निर्वाचन आयोग पर जतायी है  राज्य निर्वाचन आयोग ही नगर निकाय चुनाव करा रहा है।

हाई कोर्ट ने कहा है कि बिहार का राज्य निर्वाचन आयोग अपने संवैधानिक जिम्मेवारी का पालन करने में विफल रहा। बता दें कि पटना हाई कोर्ट ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को इस मामले में जल्द सुनवाई कर फैसला सुनाने को कहा था। आज पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस कुमार की बेंच ने अपना फैसला दे दिया है। हाईकोर्ट की बेंच ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही जो आदेश दिया था, उसका बिहार में पालन नहीं किया गया।

अति पिछड़ों के आरक्षण पर तत्काल रोक
हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में अति पिछड़ों के आऱक्षण पर तत्काल रोक दिया है। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछड़ों के आरक्षण के लिए तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी नहीं की। बता दें कि स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण दिये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में फैसला सुनाया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती। सुप्रीम कोर्ट ने जो ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला बताया था उसमें उस राज्य में ओबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने को कहा था। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल सीटों का 50% की सीमा से ज्यादा नहीं हो।

फिलहाल पिछड़े सीट सामान्य माने जायेंगे
पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर लेती तब तक पिछडों के लिए आरक्षित सीट सामान्य माने जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य घोषित कर चुनावी प्रक्रिया को फिर से शुरू कर सकता है। लेकिन पिछ़ड़ों को आरक्षण देने से पहले हर हाल मे ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

हाई कोर्ट ने कहा है राज्य निर्वाचन आयोग या तो पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य करार देकर चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ाये या फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट करा कर नये सिरे से आरक्षण का प्रावधान करे। होई कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग के रवैये पर गहरी नाराजगी जतायी है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी संवैधानिक जिम्मेवारी पूरी नहीं की। निर्वाचन आयोग हर बात के लिए राज्य सरकार पर निर्भर रहा। हाई कोर्ट ने पिछली तारीख पर ही कहा था कि निर्वाचन आयोग चुनाव के कार्यक्रम में बदलाव कर सकता है लेकिन आयोग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।

लेटेस्ट अपडेट 
चुनाव आयोग शाम 4 बजे प्रेस कांफ्रेंस कर देगी ओबीसी आरक्षण और चुनाव पर विशेष जानकारी

 

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