जिला प्रशासन की ओर से व्यवस्था को लेकर कवायद तेज
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय जिले के सिमरिया अर्धकुंभ सह राजकीय कल्पवास मेला,2023 का गुरुवार को अन्तिम और तृतीय शाही पर्व स्नान सिमरिया धाम आहुत है। वहीं बुधवार को हूए बेतहाशा मुंडन संस्कार को लेकर समस्त गंगानगरी में गंदगियों की अम्बार लगी हुई है। सिमरिया धाम में यह किसी एक दिन की स्थिति नहीं है। कुम्भ के तृतीय शाही पर्व स्नान मुख्य मार्ग एवं महात्माओं के लिए चिन्हित स्नान घाटों की व्यवस्था पर सवाल खड़ा होना लाजिमी है।
क्योंकि मेला क्षेत्र में ना ही स्थानीय घाट संवेदक संवेदनशील हैं और ना ही नगर परिषद बीहट और जिला प्रशासन। जिला प्रशासन की नजरों में कैसे आएगी यहां फैली गंदगियों की अम्बार इस्को लेकर श्रद्धालु काफी चिंतित हैं। विदित हो कि बीते मंगलवार की शाम में जिला प्रशासन के प्रतिनिधि सह राजकीय कल्पवास मेला सिमरिया धाम के नोडल पदाधिकारी अपर समाहर्ता बेगूसराय राजेश कुमार, सदर अनुमंडल पदाधिकारी रामानुज प्रसाद सिंह, राजस्व शाखा प्रभारी शशि कुमार, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी अमूल्य रत्न, सीओ सुजीत सुमन, थानाध्यक्ष चकिया ओपी दिवाकर प्रसाद सिंह, मेला थानाध्यक्ष विजेन्द्र कुमार सिंह, घाट संवेदक संवेदक के प्रतिनिधि मुंशी सुशील झा, नगर परिषद बीहट से संवेदक के पर्यवेक्षक सहित कई अन्य ने सिमरिया धाम में बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा के आगमन से पूर्व सिमरिया धाम में रामघाट से लेकर राजेन्द्र पुल सीढ़ी घाट होते हुए साधु संत महन्त एवं नागा साधुओं के लिए चिन्हित स्नान घाटों का बारीकी से निरीक्षण किया ।
तथा अधिनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिया। पर बुधवार को समाचार संकलन तक गंगा नदी तट किनारे तक जाने वाला मार्ग में बैरीकेडिंग के लिए लकड़ी गिराई गई और कहीं कहीं कार्यों की शुरुआत भी की गई थी। ऐसी व्यवस्था बनीं रही तो इस बार के शाही स्नान में भी कुछेक साधु संत ही गंगा में गोता लगाकर शाही स्नान पर्व में चार चांद लगा पाएंगे। नहीं तो पिछले शाही स्नान में जिसतरह से साधुओं ने द्वादश कुम्भ स्थलों की जल अथवा मंत्रों से स्नान बनाकर गंगा नदी तट पर से बैरंग वापस लौट जाएंगे। अब देखना यह है कि इस तरफ़ जिला प्रशासन द्वारा प्रतिनियुक्त संवेदक सिमरिया धाम को सजाने-संवारने में कितनी दिलचस्पी दिखाते हैं।
ख़ासकर गंगा नदी तट पर बुधवार को हुए बेतहाशा मुंडन संस्कार के कारण, ब्लेड का आधा हिस्सा, बाल, खपड़ी, बांस की करची, छोटा -छोटा चुनरी, मूर्ति ,पूजन एवं हवन सामग्री, पान का पत्ता, अगरबत्ती आदि वस्तुएं किनारे पर भारी मात्रा में गंगाजल में तैरती रहती है अथवा किनारे पर पड़ी रहती है। जिससे स्नानार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट