डीएनबी भारत डेस्क
जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि परिवारवाद देश और बिहार में कोढ़ के तौर पर लोकतंत्र को खोखला कर रहा है। परिवारवाद आज की परेशानी नहीं है अगर समाज को याद होगा तो 1975 में जय प्रकाश नारायण का जो आंदोलन था उसमें परिवारवाद सबसे बड़ा मुद्दा था। आज इससे कोई पार्टी अछूती नहीं है। ऐसा नहीं है कि ये राजद में हो रहा है या कांग्रेस में हो रहा है।
आप भाजपा को देख लीजिए भाजपा के जो प्रदेश अध्यक्ष हैं सम्राट चौधरी इनके पिताजी कांग्रेस में विधायक मंत्री थे, उसके बाद लालू जी का दौर आया तो उसमें विधायक मंत्री बने, नीतीश कुमार का दौर आया तो उसमें विधायक मंत्री बने, मांझी जी का का दौर आया तो उसमें विधायक मंत्री बने। आज भाजपा को अपना नेतृत्व बनाना है तो उसी परिवार के कड़ी से बैठा कर किसी को उन्होंने बनाया है।
बिहार में पिछले 30 साल में जितने लोग यहां एमपी, एमएलए बने हैं चाहें जिस दल से बने हों सब की सूची अगर आप बनायेगा तो आपको पता चलेगा कि साढ़े बारहा सौ परिवार के लोग ही एमपी, एमएलए बने हैं। परिवारवाद का ये असर है आप पार्टियों से इसे मत देखिये जो जिस पार्टी का दौर होता है उसी परिवार के लोग उसमें घुस जाते हैं।