डीएनबी भारत डेस्क
बिहार सरकार शिक्षा विभाग छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए सुदृढ़ शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर लगातार प्रयासरत है लेकिन कुछ महाविद्यालय के प्रबंधन की मनमानी के कारण सरकार एवं जिला प्रशासन का शिक्षा के स्तर और शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार की कवायद जमीनी स्तर पर खोखली और दमतोड़ती नजर आ रही है। इसी क्रम में एक ताजा मामला बेगूसराय जिला के भगवानपुर प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत एसएनपी काॅलेज संजात का सामने आया है जिसमें काॅलेज प्राचार्य की मनमानी चर्चा का विषय बनी हुई है। राजकीय अवकाश के दिन बिहार बोर्ड के निर्देश की अनदेखी कर एसएनपी काॅलेज संजात में बुद्ध पूर्णिमा के दिन 11वीं कक्षा की महत्वपूर्ण वार्षिक परीक्षा बोर्ड नियमावली के विपरीत लिया गया। शिक्षाविदों के अनुसार छात्र छात्राओं के भविष्य के लिए 11वीं और 12वीं की परीक्षा निर्णायक परीक्षा के रूप में माना जाता है। ऐसे में महाविद्यालय प्राचार्य एवं प्रबंधन की लापरवाही छात्र छात्राओं के भविष्य के लिए चिंता एवं पदाधिकारियों के लिए जांच और कार्यवाई का विषय है।
सरकारी अवकाश बुद्ध पूर्णीमा के दिन हो रही 11वीं की वार्षिक परीक्षा
बेगूसराय जिला के भगवानपुर प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत एसएनपी काॅलेज संजात में सरकारी अवकाश बुद्ध पूर्णिमा के दिन सरकारी नियमों की अनदेखी कर महाविद्यालय प्रबंधन के द्वारा परीक्षा नियमावली के विपरीत परीक्षा ली गई। बताया जाता है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अनुसार जारी परीक्षा प्रोग्राम में परीक्षा 6 मई को आयोजित की जानी थी लेकिन एक दिन पहले ही ली गई। इतना ही नहीं परीक्षा बोर्ड के द्वारा जारी प्रोग्राम एक ही पाली में परीक्षा ली जानी थी लेकिन यहां एक ही दिन में दो पालियों में परीक्षा ली गई।
प्राचार्य एवं प्रबंधन की मनमानी बनी है छात्र छात्राओं की परेशानी..
परीक्षा 9:15 बजे शुरू हो जाता है और 10:30 बजे तक छात्र छात्राओं के आने का सिलसिला जारी रहता है। समय पर नहीं आने के सवाल पर बेगूसराय जिला के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले छात्रों ने बताया ऑनलाइन नामांकन प्रक्रिया में संजात काॅलेज में नामांकन लेना पड़ा। नियम के विपरीत समय पर परीक्षा ली जाती है। जिससे आने जाने में काफी परेशानी होती है। प्राचार्य और कार्यालय में बैठे पदाधिकारी से इस बारे में कहने पर डांट कर बात किया जाता है और कहा जाता है चुपचाप परीक्षा दो नहीं तो एबसेंट कर देंगे और झूलते रह जाओगे।
इस संबंध में जब महाविद्यालय प्राचार्य और अन्य पदाधिकारी से जानकारी लेने का प्रयास किया तो वे कुछ भी जबाव देना मुनासिब नहीं समझे। वहीं छुट्टी के दिन में भी अपने ड्यूटी पर मुस्तैद उपस्थित शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी भी इस संबंध में कुछ कहने से बचते नजर आए। लेकिन दबे स्वर में बगैर नाम बताए उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में बहुत धांधली है। बिहार बोर्ड के किसी नियम का पालन नहीं किया जाता है। प्राचार्य और तथाकथित बर्सर के द्वारा हमसभी शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। बिहार बोर्ड एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी इसकी जांच कर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
प्राचार्य ने कहा
जब डीएनबी भारत की टीम ने महाविद्यालय प्राचार्य अखिलेश चौरसिया से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि हां यह सही बात है कि हम छुट्टी के दिन परीक्षा ले रहे हैं लेकिन प्रोग्राम में उल्लिखित परीक्षा तिथि से पहले ले रहे हैं इसलिए इसमें कोई परेशानी है। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि छुट्टी के दिन परीक्षा क्यों ली जा रही है तो इसका जवाब वे नहीं दे सके। साथ ही उन्होंने बताया कि परीक्षा बोर्ड की तरफ से हमें छूट है कि हम कदाचार मुक्त परीक्षा आयोजन के लिए सीटिंग व्यवस्था खुद से कर सकते हैं और हम अभी कदाचार मुक्त परीक्षा आयोजित कर रहे हैं।