दिनकर की कविता से नये भारत के इतिहास की रचना हो सकती है – प्रो कलानाथ मिश्र
दिनकर का लोकदेव आज का खलनायक हैं-शत्रुघ्न प्रसाद सिंह
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय/बीहट-नई पीढ़ी के बच्चों में दिनकर को देखना है। दिनकर को आलोचना से नहीं ह्रदय से समझा जा सकता है। दिनकर को हमसे कोई अलग नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा द्वंद के कवि थे दिनकर, बिना द्वंद का कोई कवि बड़ा नहीं हो सकता है। दिनकर को पढ़ते है तो हमारा रोम रोम जाग उठता है। दिनकर सम्पूर्ण भारत के कवि थे। दिनकर को जो पढ़ता है वहीं दिनकर को समझ सकता है।
उक्त बातें मंगलवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 116 वीं जयंती समारोह के समापन समारोह के अवसर पर दिनकर पुस्तकालय के सभागार में दिनकर स्मृति विकास समिति सिमरिया के बैनर तले आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी सह साहित्यकारों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के कुलपति प्रो सत्यकाम ने कहा। उन्होंने कहा रश्मि रथी को फिर से पढ़िए। दिनकर दलित के सबसे बड़े कवि थे। दिनकर तुलसी की परंपरा के कवि थे।
आप जिस तरह से चाहे देख सकते हैं। दिनकर कण कण में व्याप्त है। उन्होंने कहा दिनकर प्रासंगिक है। दिनकर की कविता से नये भारत के इतिहास की रचना हो सकती है। वहीं साहित्यकार प्रयागराज सीमा ने कहा कि दिनकर जनकवि थे। सिमरिया आकर हर दीवारों पर दिनकर की कविता को देखा और पढ़ा मन प्रफुल्लित हो गया। सचमुच सिमरिया साहित्यिक तीर्थ भूमि है। दिनकर राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित मदन कश्यप ने कहा कि सिमरिया की दीवार पर दिनकर की कविता लिखकर सिमरिया ने दिनकर का मान बढ़ाया है। इसके पीछे दिवंगत मुचकन्द मोनू का श्रेय है।
जिसको याद किए बिना रहा नहीं जा सकता है।मोनू ने दिनकर को जन जन तक पहुंचाने में योगदान दिया। उन्होंने कहा दिनकर ने आत्म संघर्ष किया। वही मिथिलेश सिंह, प्रमुख, मानविकी संकाय विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग ने कहा कि दिनकर बच्चों की तरह अंगूली पकड़कर रास्ता दिखाते हैं। दिनकर के समय में और आज के समय में बदलाव हैं। उन्होंने कहा दिनकर की प्रासंगिकता आज ज्यादा है। तभी तो समरस समाज के निर्माण में दिनकर का योगदान है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि तीर्थों का तीर्थ प्रयागराज है तो सिमरिया में भी गंगा बहती है जो तीर्थों का तीर्थ है। उन्होंने कहा दिनकर का लोकदेव आज का खलनायक हैं। दिनकर ने संस्कृति के चार अध्याय जो लिखा है वो देश दुनिया के इतिहास में नहीं लिखा गया है। दिनकर को याद करें।आज के हलाहल के खिलाफ अमृत के संघर्ष में सिमरिया साहित्यिक तीर्थ आगे बढ़ेगा।मंच संचालन राजेश कुमार एवं प्रवीण प्रियदर्शी ने किया।आगत अतिथियों ने सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित कर दिनकर के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया। उसके बाद दिनकर स्मृति विकास समिति द्वारा सभी आगत अतिथियों को प्रतीक चिन्ह एवं चादर ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट