इस केस मे जांच के दौरान गलत पाया गया है । यह केस 2021 का बताया जाता है । जहां जांच के बाद नाम हटा दिया गया है। ना ही चार्ज सीट का मामला है और ना ही बेल की मामला है ,केस से नाम हटा दिया गया है-एसपी योगेंद्र कुमार
डीएनबी भारत डेस्क
अपनी करतूतों को लेकर चर्चा में रहे बेगूसराय की पुलिस एक बार फिर कठघरे में खड़ी है और लोग पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। दरअसल मुफ्फसिल थाने की पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान 8 व्यक्तियों पर सरकारी कार्य में बाधा एवं तोड़फोड़ का मामला दर्ज किया था। जिसमें एक ढाई साल के बच्चे पर भी पुलिस ने मामला दर्ज कर दिया। अब पुलिस की इस करतूत की वजह से पूरा परिवार परेशानी झेल रहा है और लगातार थाना एवं कोर्ट के चक्कर काट रहा है ।
हालांकि न्यायालय ने ढाई साल के बच्चे को जमानत देने से इनकार करते हुए पुलिस को अनुसंधान कर बच्चे के ऊपर से मामला उठाने का निर्देश दिया है। पूरा मामला मुफस्सिल थाना क्षेत्र के सुजा गांव से जुड़ा हुआ है। जहां एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर न सिर्फ गंभीर सवाल खड़े होते नजर आ रही हैं बल्कि पुलिस के काले कारनामे की पोल खोल कर रख दी है।
इतना ही नही इस मामले में जमानत के लिए न्यायालय परिसर पहुंचे बच्चे को देख गुरुवार को जिले के मुख्यालय स्थित चौक चौराहे पर चर्चा का विषय बना रहा। दरअसल मामला वर्ष 2021का है जिसमें ढाई साल बच्चे पर तोड़फोड़ सहित सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया । यह मामला तब उजागर हुआ जब पीड़ित परिजन बच्चे को साथ ले बेल करवाने न्यायालय में पहुंचा।
इनफॉर्मेंट अपोजिशन अधिवक्ता देवव्रत पटेल ने बताया कि मामला कोरोना काल की है जहां जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए बैरिकेड को तोड़ने एवं सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाकर 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था जिसमें एक ढाई साल के बच्चे का नाम दर्ज किया गया।
अधिवक्ता ने बताया कि बच्चे को देख सीजीएम ने बेल देने से इंकार कर दिया और आवेदन देकर बच्चे पर लगे आरोप से बरी करने के निर्देश जारी किया। अधिवक्ता देवव्रत पटेल ने बताया कि कोर्ट ने आदेश दिया है कि ऐसे लापरवाह पुलिस के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए बाल आयोग में शिकायत दर्ज कराई जाए।
आपको बताते चलें कि वर्ष 2021 में वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाए गए जिसके बाद जिला प्रशासन संज्ञान में लेते हुए मोहल्ले को बेरीकेट से घेराबंदी लगा दिया गया था जिसे कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा बैरिकेट को हटा दिया गया और शिकायत होने पर जिला प्रशासन के द्वारा आरोपियों पर मामला दर्ज करने की निर्देश दिए गए थे।
जिस आलोक में चौकीदार रूपेश कुमार के द्वारा चिन्हित 8 लोगो को आरोपी बनाया गया जिसमें शंभू ठाकुर के लगभग ढाई वर्षीय पुत्र हर्ष कुमार का नाम भी शामिल था। फिलहाल इस बात की भनक लगते ही एक ओर जहां पुलिस के हाथ पांव फूल गए । वही एसपी योगेंद्र कुमार ने बताया की मामला संज्ञान मे आया था इस केस मे जांच के दौरान गलत पाया गया है ये केस 2021 का बताया जाता है जहा जांच के बाद नाम हटा दिया गया है ना ही चार्ज सीट का मामला है और ना ही बेल की मामला है केस से नाम हटा दिया गया है।
बेगूसराय संवादाता सुमित कुमार बबलू की रिपोर्ट