डीएनबी भारत डेस्क
नगर परिषद चुनाव को लेकर बेगूसराय के तेघड़ा में गहमा गहमी चर्मोत्कर्ष पर है। मुख्य रूप से मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद पद के लिये घमसान तेज है। मुख्य पार्षद पद के लिये मंजूषा देवी, नीलम देवी, सोनाली भारती, शालिनी देवी, रेहाना खातुन, अझली देवी और सुशीला देवी चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रही हैं।
चुनाव की तिथि निकट आते ही है मतदाताओं के रूझान खुलकर सामने दिखाई देने लगे हैं। मुख्य पार्षद पद के लिये भाकपा की ओर से भूषण सिंह की धर्मपत्नी मंजूषा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया गया है और भाकपा हर हाल में इस सीट को जीतना चाहती है। पार्टी समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में जिलामंत्री अवधेश राय और उषा सहनी जैसे कद्दावर नेता मतदाताओं की गोलबंदी अपने पक्ष में करने में लगे हैं।
तेघड़ा बाजार के प्रमुख व्यवसायी सह नगर पंचायत के निवर्तमान उप मुख्य पार्षद सुरेश रौशन ने अपनी धर्मपत्नी नीलम देवी को मैदान में उतारकर अपना दमखम दिखा रहे हैं। राजद के जिलाध्यक्ष मोहित यादव की धर्मपत्नी अझली देवी भी चुनाव मैदान में हैं। अझली देवी को अपने पति के राजनीतिक पहचान से लाभ मिलने की उम्मीद है। राजद के ही जिला महासचिव मकबूल आलम ने अपने परिवार की बहु रेहाना खातुन को उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा नेत्री शालिनी देवी भी मुख्य पार्षद पद पर अपनी उम्मीदवारी देकर जीत का दम्भ भर रही है। हालांकि भाजपा के कई स्थानीय नेता सुरेश रौशन की धर्मपत्नी नीलम देवी के पक्ष में घूमते नजर आते हैं। गौड़ा 3 के पूर्व मुखिया अशोक मिश्रा की धर्मपत्नी सुशीला देवी भी चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रही है। सुशीला देवी स्वयं भी पूर्व मुखिया रही है।
कुल मिलाकर कहा जाय तो इस चुनाव में लगभग सभी राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता तार तार हो चुकी है। उम्मीदवारी के सवाल पर बिखराव की स्थिति है। लोगों का मानना है कि इस चुनाव में मुख्य “फैक्टर” “धनबल” और “जातीय समीकरण” रहने की संभावना है। तेघड़ा नगर परिषद में सबसे अधिक मतदाता मुस्लिम समुदाय के हैं। मुख्य पार्षद पद पर एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार हैं। वहीं पिछड़े, अति पिछड़े, अल्पसंख्यक और दलित वर्ग के नाम पर राजनीति करने वाले भी एकमात्र उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। कमोबेश यही हाल उप मुख्य पार्षद पद के चुनाव के लिये भी दिखाई दे रहा है। कमजोर वर्ग के अधिकांश मतदाता “साइलेन्ट” हैं।
तेघड़ा, बेगूसराय से शशिभूषण भारद्वाज