नालंदा जिला के आदर्श चंडी मध्य विद्यालय में मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत नव साक्षर महिलाओं की बुनियादी महापरीक्षा का कराया गया था आयोजन। इस महापरीक्षा में जिले से 9 हजार 698 महिलाएं हुई थी शामिल।
डीएनबी भारत डेस्क
पढ़ने-लिखने या सीखने का कोई उम्र नहीं होता है। अगर मन में लगन और दृढ़इच्छा हो तो इंसान कभी भी कुछ कर सकता है। या यू कहें की जब जागो तभी सबेरा पर जागो तो तबीयत से जागो…बिहार के नालंदा में सास और चार बहुओं ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। जिसकी पूरे इलाके में खूब चर्चा हो रही है।
आदर्श चंडी मध्य विद्यालय में मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत नव साक्षर महिलाओं की बुनियादी महापरीक्षा का आयोजन कराया गया था। इस महापरीक्षा में जिले से 9 हजार 698 महिलाएं शामिल हुई। और इसी दौरान सास के साथ-साथ उनकी चार बहुओं ने भी परीक्षा दी। इस परीक्षा में एक साथ मां-बेटी भी शामिल हुई।
इस आयोजन का उद्देश्य है कि महिला को सशक्त और सक्षम बनाना है। ताकि महिलाएं कमोबेश प्राथमिक जानकारी जैसे अपना नाम, पता, जोड़-घटाव, पढ़ना-लिखना जान सकें। सास सिवारती देवी और उनकी चारों बहुएं पढ़ना-लिखना नहीं जानती थीं। लेकिन इन्हें पढ़ाई करने की इच्छा थी। खुद ही उन्होंने कदम उठाया। चारों बहुएं सीमा देवी, शोभा देवी, वीणा देवी, बिंदी देवी ने बच्चा होने के बाद भी पढ़ना और लिखना जरूरी समझा।
फिर घर के सदस्यों का साथ मिला। छह महीने में नाम लिखना और बोलकर पढ़ना सीख लिया। इसके बाद साक्षरता परीक्षा में शामिल हुई। सास ने कहा कि उनकी बहुओं को पढ़ना-लिखना नहीं आता था, लेकिन उनके बच्चे अशिक्षित न हों इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया था।
नालंदा संवाददाता ऋषिकेश