डीएनबी भारत डेस्क
बिहार में सुशासन की सरकार होने की बात कही जाती है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के तरह तरह के दावे किये जाते हैं किन्तु सरकारी मुलाजिमों की मनमानी एवं भ्रष्ट कार्यशैली के चलते सुशाशन सरकार का दावा खोखला साबित हो रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण बेगूसराय जिला का तेघड़ा अंचल कार्यालय है जहां अंचलाधिकारी, अंचल निरीक्षक एवं राजस्व कर्मचारी की भ्रष्ट कार्यशैली से आम जरूरतमंद लोग परेशान हैं।
लोगों का कहना है कि दाखिल खारिज, मापी वाद सहित अन्य तरह के राजस्व सम्बंधित मामलों में कार्यों के निष्पादन में भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोलता है। बरौनी गांव के शशांक कुमार एवं दनियालपुर गांव के शशिभूषण राय ने बताया कि गलत कागजातों के आधार पर दाखिल खारिज पर रोक लगाने के लिये उनके द्वारा राजस्व कर्मचारी एवं अंचलाधिकारी को आपत्ति आवेदन दिया गया किन्तु आपत्ति आवेदन का बिना निष्पादन किये ही दाखिल खारिज का आदेश पारित कर दिया गया। इस मामले में आम चर्चा सुनी जाती है कि घूस के रूप में मोटी रकम लेकर आपत्ति आवेदन का बिना निष्पादन किये ही आनन फानन में दाखिल खारिज का निष्पादन कर दिया जाता है।
कई लोगों ने बताया कि घूस की रकम नहीं देने पर उनके दाखिल खारिज के आवेदन को बिना किसी उचित कारण के रद्द कर दिया गया। इसी तरह मापीवाद सहित अन्य तरह के मामले में भी कदम कदम पर बिना घूस के कोई काम नहीं हो पाता है।
तेघड़ा, बेगूसराय से शशिभूषण भारद्वाज