बेगूसराय जिला परिसदन में विभागीय समीक्षात्मक बैठक में बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग के अध्यक्ष डॉ चक्रपाणि हिमांशु ने दिए आवश्यक दिशा-निर्देश।
बाल श्रम विमुक्त करने के लिए जिले में चलाया जाए विशेष अभियान- चक्रपाणि
बाल श्रम कराना एक कानूनन अपराध – चक्रपाणी
डीएनबी भारत डेस्क
17 जून को बेगूसराय जिला परिसदन हॉल में विभागीय समीक्षात्मक बैठक में बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग के अध्यक्ष डॉ चक्रपाणि हिमांशु ने बाल श्रमिक को लेकर संबंधित विभागीय पदाधिकारी के साथ बैठक कर दिशा आवश्यक निर्देश दिए गए।
बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग के अध्यक्ष डॉ चक्रपाणि हिमांशु ने दिशा निर्देश देते हुए कहा की 6 से 14 वर्ष के बच्चे से बाल श्रम कराना एवं 14 से 18 वर्ष तक खतरनाक नियोजन में काम लेना कानूनन दंडनीय अपराध है। प्रभावशाली व्यक्ति ईट भट्ठा मालिक, घर, प्रतिष्ठान, दुकान एवं कारखाने में काम करवाते पकड़े गए तो 20 हजार से 50 हजार तक का आर्थिक जुर्माना एवं 2 साल की सजा होती है।
श्रमिकों को श्रम संसाधन विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण कराकर सरकार द्वारा मिलने वाली सभी लाभकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। श्रमिकों की स्थिति जबतक अच्छी नहीं होगी बाल श्रम पर रोक नहीं लगेगा। बाल श्रम एवं खतरनाक नियोजन में लगे बाल श्रमिकों की सूची 3 माह में उपलब्ध कराया जाए।
सप्ताह में 2 दिन धावा दल चलाया जाए, विद्यालय एवं आंगनबाड़ी में नामांकित छात्राओं का जांच किया जाए, नामांकित छात्र विद्यालय आंगनबाड़ी केंद्र के अंदर आते हैं या नहीं, अगर नहीं आते हैं इसका सही कारण पता लगाया जाए।
विमुक्त बाल श्रमिकों के परिवार को राशि, इंदिरा आवास, राशन कार्ड, मिला या नहीं ? बच्चे विद्यालय जाते हैं या नहीं ?बाल श्रम गरीबी, बढ़ती आबादी एवं अशिक्षा का कारण है।
संविधान में सभी बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने का मौलिक अधिकार है जिससे वह शिक्षित नागरिक बन सके। गैर खतरनाक नियोजन में लगे बच्चों से 1 दिन में 6 घंटे से अधिक कार्य नहीं लिया जा सकता। बच्चों को 2 घंटे की शिक्षा की व्यवस्था नियोजक के खर्च पर किया जाएगा। बाल श्रम सभ्य समाज के लिए कलंक है। बाल श्रम उन्मूलन हेतु जागरूकता अभियान एवं कार्यशाला, प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभागीय पदाधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधि, त्रिस्तरीय पंचायती राज के प्रतिनिधि राजनीतिक संगठन एवं सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि द्वारा दृढ़ संकल्प के साथ प्रयास किया जाए।
राष्ट्रीय मेला, मेला एवं भीड़ वाली जगह में जन जागरूकता कार्यक्रम के तहत स्टॉल लगाया जाए, आयोग द्वारा प्रकाशित फोल्डर, पंपलेट, हैंडव्हील वितरण किया जाए, मेले में नुक्कड़ नाटक आयोजन एवं बस स्टैंड रेलवे स्टेशन आदि जगह बाल श्रम नहीं हो इसके लिए बैनर पोस्टर लगाया जाए, जिससे बाल श्रम पर रोक लग सके। विमुक्त बाल श्रमिकों के लिए अनिवार्य निशुल्क व्यवसायिक प्रशिक्षण तथा कार्यमुखी शिक्षा, कौशल युवा केंद्र से जोड़ा जाएगा।
व्यवसायिक शिक्षा के उत्तीर्णता प्रमाण पत्र के साथ जॉब दिया जाएगा। सरकारी कर्मचारी बाल श्रम करवाते पकड़े गए तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने एक माह में एक पंचायत, 3 माह में प्रखंड, 6 माह में अनुमंडल, एवं 1 साल में जिला को बाल श्रम विमुक्त करने का निर्देश दिया। ईट भट्ठा, प्रतिष्ठान, दुकान एवं घर में बाल श्रम करा रहे नियोजक के खिलाफ विशेष धावा दल गठन कर छापामारी अभियान चलाया जाए। जागरूकता अभियान को गांव-गांव तक ले जाया जाए।
सही मायने में स्वयं को बाल मित्रता की संस्कृति में ढ़ालने, बाल श्रम और अशिक्षा के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश, वैचारिक मजबूती, उद्देश्य प्राप्ति के लिए पूरी प्रतिबद्धता और अपनी बात को सही ढंग से प्रस्तुत करने का कौशल प्रत्येक व्यक्ति में जरूरी है।
बैठक मे उप श्रमआयुक्त अपर्णा, श्रम अधीक्षक ऋतुराज, डॉ सुशांत रंजन (जिला स्वास्थ्य पदाधिकारी), मो जमाल मुस्तफा (जिला शिक्षा पदाधिकारी), राजेश कुमार मधुकर (जिला कल्याण पदाधिकारी), रंजन कुमार, निलेश कुमार, अविनाश कुमार, संदीप कुमार, सोनू कुमार, मनदीप कुमार, श्रेया सलोनी, दिनेश कुमार केसरी, राकेश कुमार, दिवाकर कुमार (सभी श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी), राहुल कुमार (नियोजन विभाग), खुशबू कुमारी (प्रोग्राम ऑफिसर), रोशन कुमार (कौशल्या फाउंडेशन), गीतांजलि प्रसाद, पार्थेश्वर एवं अन्य श्रम संसाधन विभाग के कर्मी उपस्थित थे।