मुख्यमंत्री सचिवालत में मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का किया उद्घाटन।
डीएनबी भारत डेस्क
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में उर्दू अनुवादक एवं अन्य उर्दू कर्मियों के नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सालेहा कायनात, संतोष कुमार, किरण कुमारी, नुरूस सलाम, बी जीकरा खातून, मो यहया, शबनम परवीन, अविनाश कुमार, बुशरा हबीब एवं मो जसीमुद्दीन को सांकेतिक रूप से नियुक्ति पत्र प्रदान किया।इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा आज कुल 183 उर्दू अनुवादक एवं अन्य उर्दू कर्मियों को नियुक्ति पत्र वितरित किया गया है जिसमें उर्दू अनुवादक, सहायक उर्दू अनुवादक, निम्नवर्गीय उर्दू लिपिक और निम्नवर्गीय हिंदी लिपिक शामिल हैं। मैं सभी चयनित लोगों को बधाई देता एवं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
मुख्यमंत्री ने कहा हमने जब इस बात की समीक्षा की कि कितने पद सृजित हैं और कितने पर बहाली हुई है तो जानकारी मिली कि कुल स्वीकृत पद 2247 हैं जिसमें 1294 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। सभी स्वीकृत पदों पर जल्द ही बहाली होगी। सभी व्यक्तियों को हिंदी और उर्दू के प्रयोग का अधिकार है।जैसे हिंदी है वैसे ही उर्दू है, दोनों को बराबर की स्वीकृति प्राप्त है। सरकार हिंदी के साथ-साथ उर्दू को बढ़ावा दे रही है। लोग हिंदी के साथ उर्दू जानेंगे तो उनका ज्ञान बढ़ेगा। आप सभी जो नियुक्त हुए हैं अपनी जिम्मेवारी का बेहतर ढंग से निर्वहन करें और जहां रहें वहां लोगों को उर्दू भी सिखाएं। हिंदी के साथ उर्दू जानेंगे तो आपकी भाषा और बेहतर होगी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में ही हमने कहा था कि सभी जगह उर्दू शिक्षकों के अलावा सभी स्वीकृत पदों पर बहाली की जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उर्दू को जान सकें। हमलोग चाहते हैं कि समाज में कोई विवाद नहीं हो। प्रेम, भाईचारे का भाव हमेशा बना रहे। हमलोग आपसी सौहार्द्र और मिल्लत की बात करते हैं। उर्दू जाननेवाले के अलावे बाकी जो लोग भी उर्दू जानने की इच्छा रखते हैं उन्हें भी उर्दू सिखाएं।
नयी पीढ़ी को हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी की जानकारी होगी तो उनका ज्ञान बढ़ेगा। आप सभी जानते हैं कि पहले मदरसा की क्या स्थिति थी? पहले 1128 स्वीकृत मदरसे थे, अब 1942 मदरसों को स्वीकृति दी गयी हैं। मदरसों में केवल उर्दू ही नहीं बल्कि सारी विषयों की पढ़ाई हो। मदरसा शिक्षकों के वेतन के भुगतान के साथ-साथ मदरसों में आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए भी सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है। मदरसा के शिक्षकों को पहले बहुत कम वेतन मिलता था। अब मदरसों में भी मान्यता प्राप्त शिक्षकों के बराबर पेमेंट दिया जाने लगा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार में आने के बाद हमलोगों ने सर्वे कराया था तो पता चला कि सबसे अधिक अल्पसंख्यक समाज और महादलित वर्ग के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। उसके बाद महादलितों के लिए उत्थान केंद्र और अल्पसंख्यक समाज के लिए तालिमी मरकज की शुरुआत करवायी जिससे सभी बच्चे-बच्चियां स्कूल जाने लगी। अब आधा प्रतिशत से भी कम बच्चे स्कूल से बाहर हैं। हमलोगों ने अल्पसंख्यक महिलाओं के उत्थान के लिए हुनर कार्यक्रम चलाया। इसमें सीखनेवाली महिलाओं के लिए सरकार ने टूल कीट्स खरीदने के लिए राशि उपलब्ध कराई। अब तक 1 लाख 13 हजार अल्पसंख्यक महिलाओं को इसके अंतर्गत काम सिखाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और शिया वक्फ बोर्ड के लिए हमने काम किया। शिया वक्फ बोर्ड का पटना सिटी में हॉल बन रहा है, उसका भी निर्माण कार्य तेजी से पूर्ण कराएं। सुन्नी वक्फ बोर्ड और शिया वक्फ बोर्ड की भूमि पर बिहार के सभी जिलों में अल्पसंख्यकों के लिए अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय का निर्माण कराया जाएगा। जल्द-से-जल्द जमीन उपलब्ध कराएं ताकि निर्माण कार्य पूरा हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। वर्ष 2012-13 में अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना की शुरुआत की गई। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के अंतर्गत वर्ष 2018 से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक की सहायता दी जा रही है।
इसमें 5 लाख रुपये का अनुदान एवं 5 लाख रुपये तक ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। वर्ष 2020 से अति पिछड़ों एवं सभी वर्ग की महिलाओं को भी इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग के युवा उद्यमियों के लिए 10 लाख रुपये की सहायता दी जा रही है जिसमें से 5 लाख रुपये का अनुदान एवं 5 लाख रुपये पर 1 प्रतिशत ब्याजयुक्त ऋण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सभी लोगों को इस योजना का लाभ मिल रहा है। उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। इससे रोजगार सृजन भी होगा और लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि हम पिछड़े राज्य हैं। हमलोगों को विशेष राज्य का दर्जा मिल गया होता तो बिहार कितना आगे बढ़ गया होता। सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा मिलना चाहिए।
कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो जमा खान, सूचना एवं प्रावैधिकी मंत्री मो इसराईल मंसूरी, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी एवं मंत्रिमंडल सचिवालय सह वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को मंत्रिमंडल सचिवालय सह वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्यपदाधिकारी गोपाल सिंह, बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मो इर्शादुल्लाह, बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैय्यद अफजल अब्बास, बिहार राज्य हज कमिटी के अध्यक्ष अब्दुल हक, बिहार राज्य हज कमिटी के पूर्व अध्यक्ष इलियास हुसैन उर्फ सोनू बाबू, मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति मो आलमगीर, मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति मो बी अंसारी, उर्दू परामर्शदात्री समिति के पूर्व अध्यक्ष मो शफी मषहदी, प्रसिद्ध इतिहासकार एवं खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक प्रो इम्तियाज अहमद, मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मो एजाज अली अरशद, मगध विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष अलीमुल्लाह अली, उर्दू निदेशालय के निदेशक अहमद महमूद, नियुक्ति पानेवाले उर्दू अनुवादक एवं अन्य कर्मीगण उपस्थित थे।