छठ व्रतियों के लिए पानी के अंदर उतरना खतरों से भरा है। तालाब के चारो तरफ अतिक्रमण का शिकार है। पश्चिम भाग में एसएच 55 के किनारे से स्थानीय लोग भिंड पर मवेशी बांधते है तो बगल में भिंड पर बजवता प्लेटफॉर्म बनाकर मछली बेचता है।
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय- दशहरा के पश्चात क्षेत्र में लोकआस्था का महापर्व छठ की तैयारी जोड़ सोर से आरंभ हो गयी है। लोग नदियों,तालाबो एवं चौर स्थित विभिन्न छठ घाटों की साफ सफाई में जुट गए हैं। लेकिन खोदावंदपुर प्रखंड में प्रशासन व जनप्रतिनिधि के साथ ग्रामीण लोग भी निश्चित बैठे हैं। प्रखंड मुख्यालय स्थित एसएच 55 किनारे कलौआ पोखड़ा का स्थिति तो इस कदर बदतर है कि पोखड़ा है या जलकुंभी का ढेर पता ही नही चलता।
इस वर्ष लेट से वर्षा होने के कारण तालाब में पानी तो लबाबल है। लेकिन पूरे तालाब में जलकुंभी ने तलाब को ढक रखा है। पोखड़ा का चारो भाग जंगलों और कचरों से भरा पड़ा है। ऐसे में छठ व्रतियों के लिए पानी के अंदर उतरना खतरों से भरा है। तालाब के चारो तरफ अतिक्रमण का शिकार है। पश्चिम भाग में एसएच 55 के किनारे से स्थानीय लोग भिंड पर मवेशी बांधते है तो बगल में भिंड पर बजवता प्लेटफॉर्म बनाकर मछली बेचता है। पूरब और दक्षिण की ओर पक्का भवन बनाकर लोग अतिक्रमण किए हैं वही उत्तर की ओर जंगलों से पटा है।
आज के तिथि में कलौआ पोखड़ा का यह हाल है कि इस वर्ष एक भी व्रती यहां आकर छठ व्रत नही कर सकते हैं। छठ पर्व में एक पखवाड़े शेष है देखना है स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि कलौआ पोखड़ा छठ घाट छठ व्रतियों के लिए अनुकूल बना पाते है।अथवा छठ व्रतियों को छठ पूजा के लिए किसी दूसरे घाट की ओर रुख करना पड़ता है।
बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नितेश कुमार की रिपोर्ट