संस्कृति के चार अध्याय में वैश्विक संस्कृति, सामाजिक समरसता और राजनीतिक ज्ञान का बोधक है राष्ट्रकवि दिनकर की रचना-आनंद शंकर Read more
दुनिया में जहां भी सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ प्रतिरोध की बात आती है उसमें दिनकर की पंक्तियों को लोग हथियार के रूप में उपयोग करते हैं- अनिल पतंग Read more