भागवत कथा यज्ञ का शुभारंभ कुलपति डॉ रामचंद्र झा ने दीप प्रज्वलित कर किया।
डीएनबी भारत डेस्क
शिशिर नवरात्र के अष्टमी तिथि को बरौनी शोकहारा श्री धाम मंदिर के प्रांगण में रविवार को श्रीमद् देवी भागवत कथा यज्ञ का शुभारंभ विधिवत ढंग से कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के पूर्व कुलपति डॉ रामचंद्र झा ने अपने करकमलों द्वारा दीप प्रज्वलित किया। जिसमें उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि बाल्मीकि रामायण के बाल खंड के 45 में श्लोक में कहा गया कि सनातन धर्म का तीन धारा है।
दक्षिण क्षेत्र के लोगों का कहना है कि उड़ीसा, बिहार, बंगाल, हिमाचल, उत्तराखंड शास्त्र के अनुसार मिथिला क्षेत्र कहलाते हैं। जहां पर तीन बार महालक्ष्मी आदि शक्ति के रूप में बैग में कन्या के रूप में क्षीरसागर सीतामढ़ी पुनौरा धाम जिसको कहते हैं वहां प्रकट हुआ है। जहां पर क्या सागर मंथन के बाद अमृत की प्राप्ति हुई है ब्रह्म कुंड अहिल्या स्थान से सिमरिया धाम तक सिमरिया धाम से चमथा धाम क्षीरसागर सागर है। मंथन के पश्चात 14 रत्न प्राप्त हुए हैं, और उसे सागर से जो विश निकला उस विश को कंठों में धारण करने वाले भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ा और कार्तिक त्रयोदशी के दिन ही की प्राप्ति हुई थी और अमावस्या को देवताओं को प्रदान किया गया था।
गुरु के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धा और समर्पण होनी चाहिए वही बिहार के मिथिला है से कमलाकांत जी ने कहा कि हमें मिथिला की संस्कृति पर गर्व है हमारी पहचान ही मिथिला है और ज्ञान और स्वाभिमान जीवन से मुक्ति का धाम है सिमरिया धाम कुंभ स्नान से ही पाप की मुक्ति मिलती है सौभाग्यशाली वह होते हैं जिन्हें गुरुदेव का सानिध्य प्राप्त होता है सरकार श्री जैसे व्यक्तित्व अगर नहीं होते तो सिमरिया घाट से सिमरिया धाम की यह स्थिति नहीं होती हमें गर्व है हम इस काल काल निर्मल गंगा के समीप है
जहां तन भी निर्मल है और मन भी निर्मल है और संकल्प लेते हैं हम सभी मिलकर जो सभी का मन आध्यात्मिक के प्रति निर्मल हो। मंच पर आगत अतिथियों का स्वागत सर्वमंगला आध्यात्मयोग विद्यापीठ के व्यवस्थापक रविंद्र ब्रह्मचारी, अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी के द्वारा किया गया ।मंच की अध्यक्षता डॉ घनश्याम झा, संचालन प्रो विजय झा, प्रो प्रेम और सुधीर चौधरी के द्वारा किया गया। वहीं कार्यक्रम का संयोजन मीडिया प्रभारी नीलमणि ने किया।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट