बिहार खादी मॉल में बिक रहीं है बैम्बू से बनी जीरो वेस्ट राखियां

पर्यावरण के अनुकूल है राखियां, किसी पर मिथिला पेंटिंग की गई है तो किसी में तो किसी पर टिकुली आर्ट बनाई गई

पर्यावरण के अनुकूल है राखियां, किसी पर मिथिला पेंटिंग की गई है तो किसी में तो किसी पर टिकुली आर्ट बनाई गई।

डीएनबी भारत डेस्क 

रक्षाबंधन के अवसर पर बिहार खादी मॉल में इस बार जीरो वेस्ट राखियाँ आई है। इन राखियों की खासियत यह है कि ये बैम्बू जैसे बहुउपयोगी पौधे से बनी हुई है और साथ ही बिहार के विभिन्न कलाओं को भी दर्शाती है। किसी पर मिथिला पेंटिंग की गई है तो किसी में तो किसी पर टिकुली आर्ट बनाई गई है।

इन राखियों की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें उपयोग होने वाले सभी सामग्री पर्यावरण अनुकूल है और साथ ही इनका प्रत्येक अंश सौ प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल है। लोग इन राखियों को प्रयोग के बाद अपने घर के गमलों में लगा सकते हैं। राखियों में उपयोग होने वाले काग़ज में तुलसी के बीज है जिसके प्रयोग होने के बाद मिट्टी में डाल देने पर यह तुलसी के पौधों को विकसित करेगी।

इस संबंध में बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड पटना के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री विवेक रंजन मैत्रेय ने बताया कि भारत में अगस्त माह से त्योहारों का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है, इसकी शुरुआत रक्षाबंधन से होती है।

त्योहारों में प्रायः देखा जाता है कि लोग अक्सर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले सामान का प्रयोग करते हैं और इसी समस्या से निजात पाने के लिए खादी मॉल, पटना में पर्यावरण अनुकूल हस्तनिर्मित विभिन्न उत्पादों की उपलब्धता की गई है। यह राखी मुख्यधारा की राखियों के डिज़ाइन से अलग है। इनमें उपयोग होने वाला बैम्बू पौधा के अनेक लाभ है।

बैम्बू का उपयोग निर्माण सामग्री, फर्नीचर, कागज, कपड़े, खाद्य पदार्थ, और औषधियों में किया जाता है। बैम्बू से बने उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। बैम्बू आसानी से उपलब्ध है और इसे उगाने में कम समय और संसाधनों की आवश्यकता होती है। यह कृषि और ग्रामीण विकास के लिए एक कैश क्रॉप की तरह काम करता है।

इन राखियों को ख़रीदने से ना सिर्फ़ आप पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं बल्कि स्थानीय कलाकारों को एवं स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में अपना योगदान दे सकते हैं। इन राखियों की निर्माण करने वाली कंपनी का नाम होली नेचर्स है। यह कंपनी बिहार में कार्यरत है और ऐसी कई कम्पनियाँ है जो बिहार में पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए नवाचार का इस्तेमाल कर प्रोडक्ट्स बना रहीं है।

गांधी जी द्वारा शुरू की गई खादी की विचारधारा हमेशा से ही स्वदेशी और पर्यावरण आधारित रही है, इसके मद्देनज़र रखते हुए खादी मॉल पटना में स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाए हुए कई हस्तनिर्मित एवं पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की विस्तृत शृंखला मौजूद है। खादी मॉल पटना में उपलब्ध उत्पाद ना केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता को प्रोत्साहित करते हैं बल्कि बिहार की सांस्कृतिक धरोहर और कला को भी जीवंत रखतें है।

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