कैमूर: बिहार का बैजनाथ धाम खजुराहो मंदिर में लगे मूर्तियां अपने अन्दर कई रहस्यों को समेटे है

 

पुरातत्व विभाग के अनुसार 500 ईसा वर्ष पूर्व पाषाण काल मंदिर को बनाया गया

देश में भगवान ब्रह्मा जी की मूर्ति राजस्थान के पुष्कर के बाद कैमुर के बैजनाथ धाम में खुदाई के दौरान निकली थी

बैजनाथ धाम में 82 फिट की शिवलिंग जमीन के अंदर से है स्थापित, आज भी घरों के नींव की खुदाई के दौरान निकलती है अनेकों मूर्तियां

सावन में यहां जलाभिषेक करने के लिए लगती है भीड़ बिहार के अलावे यूपी और झारखंड से भी आते है लोग बैजनाथ धाम

डीएनबी भारत डेस्क

कैमूर-झारखंड में बाबा बैद्यनाथ का नाम तो आपने सुना ही होगा लेकिन क्या आप जानते हैं की बिहार के कैमूर में भी बैजनाथ धाम है जो अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है पूरा गांव ही मूर्तियों के ऊपर बसा हुआ है।कैमुर जिले के रामगढ़ प्रखंड स्थित बैजनाथ मंदिर खजुराहो मंदिर के तर्ज पर बनाई गई है मंदिर में रखी मूर्तियां मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर में रखी मूर्तियां जैसी दिखाई देती है इस मंदिर के आठ कोण पर मंदिर गर्भ गृह से आठ गुफा का रास्ता गया हुआ है।

स्थानीय लोगों की माने तो इस मंदिर में स्थापित बैजनाथ धाम के शिवलिंग की आभा अद्भुत है काले पत्थर के बने शिवलिंग के प्रति श्रद्धालु सहज ही आकर्षित हो जाते हैं जन श्रुति के अनुसार महादेव के त्रिशूल पर बसा है बैजनाथ धाम।पूरे सावन माह में यहां बड़े पैमाने पर मेला लगता है खासकर सोमवार के दिन जिले के यूपी के गाजीपुर बलिया व अन्य जिलों के हजारों की संख्या में कांवरिया यूपी के जमानिया स्थित गंगा नदी से जल भरकर बैद्यनाथ मंदिर में जलाभिषेक करते हैं।छोटे-बड़े देवी देवताओं को मिलाकर कुल 33 सौ करोड़ मूर्तियां हैं।

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में चंदेल वंश द्वारा बनवाए गए खजुराहो के मंदिर से बिहार की कैमुर के बैजनाथ धाम मंदिर की कई समानता है मंदिर के भीतर किन्नर व गंधर्व की आकर्षक मूर्तियां बनी हुई है अष्टकोणीय इस मंदिर के चारों कोनों पर भी ब्रह्मा विष्णु रूद्र व ध्रुव कुंड स्थापित है बच्चों को स्तनपान कराती माता की प्रतिमा का चित्रण काफी संजीव लगता है मंदिर के गर्भवती में मैथुन रत्न अप्सराओं की कलाकृतियां बनी है।जानकार बताते हैं की मंदिर के पिछले हिस्से में तालाब है जहां मंदिर के गर्भ गृह से सीढ़ियां गई हुई है

जिसमें खोजने का प्रयास किया गया लेकिन आधे रास्ते जाने के बाद अंधकार था जिसके बाद उन रास्तों को बंद कर दिया गया।मंदिर के दक्षिण दिशा में गुफा है जिसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से बंद किया गया है कई वर्ष पहले खोला गया था लेकिन कई तरह के जीव जंतु और धुंवा निकलने लगा जिसके बाद पत्थर से गुफा को बंद कर दिया गया।

कैमूर संवाददाता देवब्रत तिवारी की रिपोर्ट