लगभग 400 वर्षों से अधिक समय से हो रही है बीहट सिद्धपीठ बड़ी दुर्गा मंदिर में भव्य पूजा अर्चना। बीहट सिद्धपीठ बड़ी दुर्गा मंदिर पूरे राज्य में मनोकामना मंदिर के नाम से है प्रसिद्ध
डीएनबी भारत डेस्क
बीहट सिद्धपीठ बीहट बड़ी दुर्गा मंदिर में पूरे राज्य में मनोकामना मंदिर के नाम से है प्रसिद्ध। क्षेत्र के बड़े बुजुर्ग, जानकारों का कहना है कि मुगल शासन काल से ही हो रही है बीहट सिद्धपीठ बड़ी दुर्गा मनोकामना मंदिर में पूजा। जिसके अनुसार लगभग 400 वर्षों से अधिक समय से माता का यह मंदिर पूरे इलाके में प्रसिद्ध है। जानकारों के मुताबिक बरौनी प्रखण्ड अंतर्गत मल्हीपुर के राजपूत घराना बाबू कुतुहल सिंह के पूर्वजों के द्वारा दुर्गा की प्रतिमा बनाकर पूजन की परंपरा का शुरूआत किया गया था।
ऐसा मानना है कि पूर्व में मंदिर स्थल मल्हीपुर में जब दुर्गा पूजा के समय में बाढ़ आई थी वहां के ग्रामीणों ने बीहट के सबसे ऊंची जगह पर आज से 90 वर्ष पूर्व मंदिर बनाकर बीहट के लोगों को पूजा की जिम्मेदारी सौंप थी। मनोकामना मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में नवरात्रा के समय में पूरे बिहार के दर्जनों जिले से महिला खोयछा भरने एवं पुरूष देवी के दर्शन के लिए भाड़ी तादाद में पहुंचते हैं। इस मंदिर में सालों भर पूजा अर्चना एवं भव्य आरती पूरे विधि विधान से किया जाता है।
225 फीट उंची गुबंद वाली भव्य दुर्गा मंदिर क्षेत्र में आकर्षण का केन्द्र
कालान्तर में जब मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गया तो ग्रामीणों ने 11 मंडल का भव्य दुर्गा मंदिर बनाने के लिए एक समिति गठित कर निर्माण की कवायद शुरू की। वर्ष 2008-09 में जब निर्माण कार्य शुरू हुआ तो ग्रामीणों निर्माण समिति को ही मंदिर में पूजा व्यवस्था कार्य करने के लिए भी अधिकृत कर दिया। 14 फरवरी 2009 से जनपद के लोगों के सहयोग से 11 (225 फीट गुबंद सहित) दुर्गा मंदिर निर्माण कार्य शुरू हुआ। सबसे बड़ी खासियत यह रही की पूरा बीहट गांव एवं जिले के सैकड़ों श्रद्धालु ने मंदिर निर्माण में स्वयं का श्रमदान भी दिया। सिद्धपीठ बड़ी दुर्गा मंदिर बीहट न सिर्फ बेगूसराय जिले में बल्कि सूबे एवं देश भर के दुर्गा मंदिरों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जिले के लखनपुर, घटकिन्डी, नौला, तथा पानापुर भगवती मंदिर (दुर्गा मंदिर) के जैसे जिले में कुल नौ जगहों पर एक जैसी दुर्गा प्रतिमा का निर्माण होता है। बीहट के मूल निवासी स्व गीता सिंह के परिजन द्वारा उक्त दुर्गा मंदिर की पूजा अर्चना पहले की जाती थी।