पांच वर्ष तक चाहे जितनी भी बात करले पर उसमे सुधार तब होगा जब आप अपनी समस्या पर वोट करेंगे
पदयात्रा के दौरान हर गांव से ऐसे लोगों को निकाला जाय जो बिहार मे नई व्यवस्था नया दल बनाना चाहते हैं प्रशांत किशोर
डीएनबी भारत डेस्क
जन सुराज यात्रा के तहत बेगूसराय पहुंचे प्रशांत किशोर ने आज बखरी मे एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दो अक्टूबर 2022 को पश्चिम चंपारण के गाँधी आश्रम से हमने जन सुराज अभियान तहत पदयात्रा की शुरुआत की है। उसको अभी 16 महीने से अधिक हो गए हैं.पिछले 16 महीना में हम लोग पश्चिम चंपारण से चलकर कई जिलों होता हुआ कल हम बेगूसराय पहुंचे है. बेगूसराय मे अनुमान है की वो एक महीने तक रहेंगे.इस एक महीने में यह कोशिश रहेगी कि वह सभी प्रखंडों पंचायत और अधिकतर गांव में जायेंगे।
हमारे पदयात्रा के तीन उद्देश्य है. उनका पहला उद्देश्य यह है कि वह गांव-गांव जाकर बिहार की गरीबी,पिछडापन, भ्रष्टाचार और अन्य परेशानियों से बचना चाहते है तो लोगों को अपने और अपने बच्चो के भविष्य के लिए वोट करना होगा. मेरा पूरा फोकस इस बात को लेकर है की आप पांच वर्ष तक चाहे जितनी भी बात करले पर उसमे सुधार तब होगा जब आप अपनी समस्या पर वोट करेंगे. अब तक हमने साढ़े चार हजार गांवो का दौरा किया है जहां मैं एक प्रश्न हर वक्त करता हूं की पढ़ाई की व्यवस्था सुधारनी चाहिए या नहीं.
इसलिए लोग लालू जी के डर से भाजपा को वोट करना पड़ता है उस स्त्री से लोगों को छुटकारा मिले. इसके लिए जरूरी है कि बिहार में एक नया विकल्प बने. यह विकल्प प्रशांत किशोर किसी जाती बिशेष और किसी परिवार बिशेष का बिकल्प ना बने बल्कि बिहार की जनता का बिकल्प हो। दूसरा विकल्प यही है की पदयात्रा के दौरान हर गांव से ऐसे लोगों को निकाला जाय जो बिहार मे नई व्यवस्था नया दल बनाना चाहते हैं. पद यात्रा की शुरुआत से पहले हमने एक स्टडी कराया था जिसमें 55% लोगों ने बिहार मे नया दल और नया बिकल्प बनाने के पक्षधर हैं।
और उनकी टच योजना है कि हर गांव में खाने वाले खेती से कमाने वाली जमीन मे कैसे परिवर्तित किया जा सके. जिससे बिहार को देश के दस अग्रणी राज्यों मे से एक बनाया जा सके. इन 16 महीना की यात्रा में हमने बिहार मे जो सबसे बड़ी समस्या देखा है वह है बेरोजगारी और पलायन. पदयात्रा के दौरान इसकी सामाजिक औरआर्थिक पहलू के साथ साथ इसकी विकरालाता देखने को मिली है. 4500 गांव की पदयात्रा के दौरान यह देखने को मिला है कि कोई भी ऐसा गांव नहीं है जहां 40 से 50% तक बाहर पलायन के लिए नहीं गया है. बिहार में पलायन और बेरोजगारी गरीब और समृद्ध सबके लिए सामान है.
प्रशांत किशोर ने बताया कि बेरोजगारी और प्लान हर्बल के लोगों को प्रभावित कर रहा है. प्रशांत किशोर ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए कहाँ की बिहार में दूसरी सबसे बड़ी समस्या बिहार में शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना है. स्कूलों की छवि खिचड़ी बांटने के केंद्र के तौर पर और कॉलेज की स्थिति डिग्री बांटने के तौर पर है। मुझे लगता है कि बिहार में खिचड़ी बांटने से पढ़ाई बिगड़ गया है। प्रशांत किशोर ने सांप और ने कहा कि बिहार में पिछले 25- 30 वर्षों में समाज और सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा रह ही नहीं गई है. लोग भी यही चाहते हैं कि हमारा बच्चा स्कूल जाए वहां से खिचड़ी पोशाक साइकिल मिल जाये वह भी अपने बच्चो को पढ़ाने पर ध्यान नहीं दे रहा है.
जहाँ पढ़ कर आप कुछ अच्छा कर सकते थे. वही कमिश्नरी में कुछ ऐसे कॉलेज थे जहां पढ़ कर आपको कुछ कर सकते थे लेकिन नीतीश लालू के राज में इसे पूरी तरीके से ध्वस्त कर दिया गया. पहले किसान खेती कर कर एक दो कट्ठा जमीन खरीद लिया करते थे लेकिन आज अगर किसान के घरों में कोई नौकरी करने वाला ना हो तो बेटी और बीमारी में एक दो कट्ठा जमीन बिक जाता है। आज किसानों के हालात सबसे बुरे हैं। इसकी तीन बजह है.
डीएनबी भारत डेस्क