बिहार की शिक्षा व्यवस्था में यह कैसा हो रहा सुधार है जहां भूमि पर बैठकर बच्चे शिक्षा ग्रहण करने को हैं मजबूर…

बेगूसराय जिला के बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय वीरपुर का मामला।

बेगूसराय जिला के बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय वीरपुर का मामला।

डीएनबी भारत डेस्क 

भले ही बिहार में शिक्षा के सुधार की बात की जा रही हो लेकिन आलम यह है कि कहीं छात्र जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं तो कहीं भीषण उमस में पुस्तकों को पढ़ने के बजाय पंखे के रूप में उपयोग किया जा रहा है। शिक्षकों के द्वारा लगातार जिला प्रशासन से गुहार लगाने के बावजूद जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों के द्वारा अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिल पाया है लेकिन सुधार की दिशा में कोई काम नहीं किए गए।

ताजा मामला बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय वीरपुर की है जहां छात्रों के अनुकूल उपस्थिति के बाद बावजूद शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है। क्योंकि विद्यालय के पास न ही पर्याप्त भवन है और ना ही अन्य संसाधन। आलम यह है कि कार्यालय कक्ष को स्टोर रूम एवं विद्यालय भवन को रसोई घर के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
पूरा रिपोर्ट विद्यालय की व्यवस्था पर

हाल के दिनों में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के द्वारा कई फरमान जारी किए गए हैं। देखा जाए तो इन नए नियमों के बाद शिक्षा विभाग में कुछ सुधार जरूर देखने को मिला है। लेकिन कई ऐसे स्थान है जहां पर की छात्रों की उपस्थिति के बावजूद भी व्यवस्था नहीं रहने से छात्र उचित शिक्षा ग्रहण से वंचित रह जाते हैं।

ऐसा ही एक विद्यालय उत्क्रमित मध्य विद्यालय वीरपुर है जहां तकरीबन 600 छात्र नामांकित हैं जिनमें 400 से अधिक की नियमित उपस्थिति होती है। शिक्षकों के अनुसार प्रधान सचिव के निर्देश के बाद छात्रों की उपस्थिति में भी वृद्धि दर्ज की गई है। लेकिन जानकारी के अनुसार उक्त विद्यालय में मात्र 5 भवन है जिनमें एक कार्यालय एवं स्टोररूम के रूप में उपयोग किया किए जाते हैं तो एक भवन में रसोई भंडार चलता है।

वर्ग पांच से सात तक के छात्रों की क्लास रूम में पढ़ाई की जाती है लेकिन वहां भी कुछ छात्रों को ही बेंच नसीब हो पता है बांकी छात्र जमीन पर भी बैठकर पढ़ने को विवश हैं। लेकिन एक से चार वर्ग तक के बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है। आलम यह है कि बारिश के मौसम में छात्र या तो भीगते हुए पढ़ाई करते हैं या फिर किसी तरह खड़े होकर अपना बचाव करते हैं। विद्यालय में कुल 14 शिक्षक नियुक्त हैं जिनमें मात्र एक प्रधानाध्यापक ही पुरुष है बाकी सभी शिक्षिकाएं।

बदहाली का आलम यह है कि अगर छात्राओं एवं शिक्षिकाओं को शौच की आवश्यकता होती है तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शिक्षकों के अनुसार जिला शिक्षा पदाधिकारी सहित कई जनप्रतिनिधियों ने उक्त विद्यालय का भ्रमण किया लेकिन आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिल पाया है। शिक्षकों के द्वारा लगातार जिला प्रशासन से भवन निर्माण सहित विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं की मांग की गई लेकिन विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।

अब यहां सवाल यह उठता है कि सिर्फ शिक्षकों पर कराई करने से शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकती बल्कि इसके लिए विद्यालयों को भी बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित करना होगा और तभी जाकर सब पढ़े सब बढ़े का नारा सर जमी पर चरितार्थ हो सकेगी। अब देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन की नजरें कब इस विद्यालय पर पड़ती है और छात्रों एवं शिक्षकों की समस्याओं का समाधान हो पाता है।

 

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