बारिश होने से तैयार रबी फसलों को नुकसान तो गरमा फसलों की बुआई करने वाले किसान फायदेमंद:- डॉ रामपाल

 

डीएनबी भारत डेस्क

खोदावंदपुर प्रखंड में बुधवार की दोपहर से अचानक हुई तेज बारिश से तैयार रबी फसलों को नुकसानदायक तो दूसरी ओर गरमा फसलों की बुआई करने वाले किसानों के लिए फायदेमंद है।उपर्युक्त बातें कृषि विज्ञान केन्द्र खोदावन्दपुर.बेगूसराय के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ रामपाल ने दी।उन्होंने बताया कि जिले भर के किसान आलू.सरसों एवं मसूर फसल की कटाई लगभग पूरी कर लिए हैं।

लेकिन जिन किसान भाईयों ने इन फसलों की कटाई किसी कारणवश ना कर पाए हैं।तो वह तत्काल इसे रोक दें।और मौसम ठीक होने का इंतजार करें।इसी तरीके से मौसम की स्थिति रही तो बारिश होने की और आशंका बढ़ सकती है। जिससे गेहूं की खेती करने वाले किसान भाईयों के खेतों में जलजमाव की समस्या हो सकती है।खेतों में ज्यादा पानी लग जाने के कारण बाली सूखने लगती है। और पैदावार भी प्रभावित हो सकती है। उधर गेहूं की जो फसल पक गयी है तेज बारिश के कारण बालियां के टूटने से पैदावार बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है।तथा तेज हवा के चलने से फसल गिर सकती है।

अगर आगे बारिश हुई तो खेत में खड़ी सरसों.चना और मसूर सहित रबी फसलों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।केविके के वरीय वैज्ञानिक डॉ रामपाल ने कहा कि किसान खड़ी फसल में सिंचाई ना करें एवं बेगूसराय के जिस क्षेत्र में बारिश नहीं हुई है।और सरसों.चना आदि की फसल पक गयी है.वहां फसल की कटाई तत्काल कर लें। इसके अलावे कटी हुई फसलों को पॉलिथीन से ढक कर उचित स्थान पर इसे सुरक्षित कर लें।बारिश होने की स्थिति में खेतों में लगे हुए मक्का.उड़द. मूंग आदि फसल जलजमाव के परिणाम स्वरूप खराब अंकुरण हो सकता है।साथ ही अनेक प्रकार के बीमारी एवं कीट का प्रकोप देखने को मिल सकता है।

अगर बीमारी की बात कर तो गेहूं में इस स्थिति में लूज स्मार्ट नामक बीमारी गेहूं के बाली में लगने की आशंका हो सकती है।अगर बात करें इसके लक्षण की तो फूल खिलने के दौरान यह बीमारी उत्पन्न होते हैं।इसके संक्रमण से तैयार हो रहे बीज के साथ बालियां भी काली दिखने लगती है और एक अजीब मृत्यु मछली जैसी गंध आती है। विकासशील दाने की जगह फफूंद पाउडर ले लेता है।और संक्रमित बालियों में कोई अनाज नहीं बन पाता है। इस बीमारी के फैलने के लिए 60 से 85 प्रतिशत सापेक्ष आर्द्रता के साथ उपयुक्त नमी एवं तापमान 16 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड आवश्यक होता है।

जिसके लिए अभी का मौसम अनुकूल स्थिति दर्शा रहा है।अभी अगर इस बीमारी का प्रकोप बढ़ जाता है तो किसान भाई उचित उपचार करें।यह बीमारी देखने को मिल जाए तो प्रॉपिकॉनाजोल 1.5 मिलीमीटर प्रति लीटर की दर से छिड़काव कर सकते हैं। जिन किसान भाइयों ने अभी तक गरमा फसल अपने खेत में नहीं लगाए हैं। वह अपने खेत को गरमा फसल लगाने के लिए खेत को तैयार कर सकते हैं।

बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नितेश कुमार की रिपोर्ट