बरौनी क्षेत्र की दुर्गा एवं काली मां की लगभग सभी प्रतिमा कतारबद्ध हो गाजे बाजे के साथ हजारों महिला एवं पुरूष श्रद्धालुओं के साथ पूरे क्षेत्र भ्रमण कर किया जाता है प्रतिमा विसर्जन
डीएनबी भारत डेस्क
फुलवड़िया थानाक्षेत्र के बरौनी नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत दुर्गा पूजा विसर्जन की परंपरा का अपना अलग ही अंदाज है जिसकी चर्चाएं जिला सहित पूरे राज्य में है. जानकारों के मुताबिक यूं तो फुलवड़िया थानाक्षेत्र में लगभग 23 जगहों पर दुर्गा एवं काली पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। जिसमें कैदीबारी एवं लाला टोली दो जगहों पर काली माता की पूजा अर्चना तो होती है लेकिन प्रतिमा विसर्जन नहीं होता होता है. क्योंकि इन दोनों जगहों पर हमेशा के लिए काली मां प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा के साथ स्थापित है।
बरौनी में दूर्गा एवं काली माता की 12 प्रतिमाओं का एक साथ वर्षों से है विसर्जन की परंपरा
फुलवड़िया थानाक्षेत्र में 23 जगहों दुर्गा एवं काली पूजा बड़े धूमधाम से किया जाता है। इनमें पंचदेव मंदिर, मनोकामना मंदिर सहित कई मंदिरों में 24 घंटा दस दिन दुर्गा सप्तशती 13 अध्यायों का पाठ एवं संध्या आरती दर्जनों विद्वान पुरोहित की उपस्थिति में किया जाता है. जो अपने आप में अद्भुत है. वहीं बरौनी में दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन की अपनी ऐतिहासिक परंपरा है जो शायद ही अन्य जगहों पर किया जाता है. विसर्जन के दौरान बरौनी की 12 दुर्गा एवं काली माता की प्रतिमा अपनी वरियता अनुसार कतारबद्ध हो गाजे बाजे के साथ क्षेत्र के हजारों महिला व पुरूष श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ लगभग 07 किमी से अधिक दूरी तय कर एक ही घाट पर प्रतिमा विसर्जन करना काफी मोहक और अस्था के प्रति लोगों के समर्पण भाव की अलग छटा दिखलता है. जिसकी चर्चाएं पूरे जिले सहित राज्य स्तर पर है. बांकी प्रतिमाओं श्रद्धालु अपनी ईच्छा अनुसार अलग अलग विसर्जन को जाते हैं.
बरौनी में दो काली एवं एक दुर्गा माता की प्रतिमा का कांधे पर विसर्जन की है परंपरा
बताते चलें की बरौनी नगर परिषद के फुलवड़िया थानाक्षेत्र में बड़ी काली दीनदयाल रोड एवं भद्रकाली राजेन्द्र रोड एवं कैदीबारी दुर्गा माता की प्रतिमा सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु के कंधे पर सवार होकर विसर्जन को जाती हैं. जिसमें भद्रकाली राजेन्द्र रोड माता की प्रतिमा राजेन्द्र रोड, सिंधिया चौक, दीनदयाल रोड होते हुए आलू चट्टी रोड की परिक्रमा कर विसर्जन 12 प्रतिमाओं के साथ अपनी वरियता अनुसार कतारबद्ध होकर भक्तों के कंधों पर सवार होकर को जाती हैं. बताते चलें कि माता को कंधा देने के लिए स्थानीय की कौन कहे अन्य प्रदेशों में काम रोजगार करने वाले भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि माता की विदाई में कंधा देने से भक्त को मनवांछित फल मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. प्रतिमा विसर्जन का दृश्य बेहद भव्य और खूबसूरत होता है।