डीएनबी भारत डेस्क
अक्सर देखा जाता है कि लोग बैंक या अन्य फाइनेंस कंपनी से लोन लेकर वाहन खरीदते हैं और किसी कारणवश लोन नहीं चुका पाने की स्थिति में बैंक ग्राहकों से वाहन जबरदस्ती वापस ले लेते हैं। ऐसे ही एक मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है और जबरन वाहन जब्त करने को अवैध बताया और कहा कि यह व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इस तरह की धमकाने वाली कार्रवाइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। इसके अलावा पटना हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिभूतिकरण के प्रावधानों का पालन करते हुए वाहन लोन को वसूल किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने रिट याचिकाओं के एक बैच का निस्तारण करते हुए बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को लताड़ लगाई और कहा कि बैंक जबरन वसूली के लिए एजेंट लोगों को लगाती है। उन्होंने राज्य के सभी पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया है कि किसी भी वसूली एजेंट द्वारा किसी भी वाहन को जबरन जब्त नहीं किया जाए। अपने 53 पन्नों के फैसले में न्यायमूर्ति रंजन ने सर्वोच्च न्यायालय के 25 से अधिक फैसलों का उल्लेख किया। इसमें दक्षिण अफ्रीका के एक फैसले का भी जिक्र किया गया।