अनादिकाल से पतित पावनी सिमरिया गंगा नदी तट पर सिमरिया में कल्पवास मेला की परंपरा चली आ रही है – विजय कुमार चौधरी

हरिद्वार की शक्ल में दिखने लगा सिमरिया धाम,गंगा सेवन से शरीर का कष्ट दूर हो जाता है,

सिमरिया कल्पवास आकर सब माया मोह छूट जाता है।

डीएनबी भारत डेस्क

बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा 125 करोड़ रुपए की लागत से रिवर फ्रंट के तहत सीढ़ी घाट, कल्पवास मेला क्षेत्र का विकास, धर्मशाला, शौचालय, प्रकाश सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है।कल्पवास मेला क्षेत्र को बिहार सरकार द्वारा राजकीय कल्पवास मेला घोषित करने के बाद मेला क्षेत्र में ट्यूब लाइट, पेयजल, शौचालय सुरक्षा की व्यवस्था देना शुरू किया गया। उक्त बातें मंगलवार को गंगा महाआरती में शामिल हुए मुख्य अतिथि सह बिहार सरकार के जलसंसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा।

उन्होंने कहा अनादिकाल से पतित पावनी सिमरिया गंगा नदी तट पर राजकीय सिमरिया कल्पवास मेला की परंपरा चली आ रही है। वो एक जमाना था जब कल्पवास मेला क्षेत्र में कोई भी सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती थी। डिबिया की रौशनी में पालीथीन का घर बनाकर बूढा बुजुर्ग एक माह कार्तिक मास में गंगा सेवन करने आते थे। धीरे धीरे समय बदलता, व्यवस्था बदली और सिमरिया कल्पवास मेला का स्वरूप बदला। वहीं मनीगाछी दरभंगा निवासी सविता देवी ने बताया कि चार वर्ष की उम्र से ही माता जी के साथ आती थी गंगा सेवन करने।

शादी के बाद दोनों पति-पत्नी दोनों हर वर्ष गंगा नदी तट पर कल्पवास करने आती है। कहा गंगा सेवन से मन की शांति मिलती है। सुबह उठकर गंगा स्नान, पूजा अर्चना, तुलसी चौरा में जल संध्या में गंगा नदी तट पर आरती किया जाता है। वहीं दरभंगा निवासी प्रमिला देवी ने बताया कि विगत 25 वर्षों से कल्पवास मेला में गंगा सेवन कर रही हूं। शुरू में सासू मां के साथ आती थी। उसके बाद लगातार आकर मन को शांत कर लेता हूं। ग्यारह माह घर पर रहकर एक माह गंगा सेवन पूजा अर्चना करने से शरीर का कष्ट दूर हो जाता है। पति के साथ यहां आई हूं।

खाना बनाने में दिक्कत के वावजूद गंगा सेवन करने आती हूं। एक बेटा और पुतोहू दिल्ली में रहता है। घर पर कोई नहीं है। वहीं सीतामढ़ी वनगांव निवासी सविता झा ने बताया कि इस बार पहली बार कल्पवास करने आई हूं। पहले एक दो दिन के लिए कल्पवास मेला में आते थे।इस बार पूरे एक माह गंगा सेवन करने आई हूं। उन्होंने कहा चचेरी सासू को कल्पवास करता देख मन में कल्पवास करने की जागरूकता जगी। माया मोह छोड़कर पहली बार आकर मन प्रसन्न लगता है।अब घर जाने का मन नहीं करता है। पहले का कल्पवास मेला  और अब के कल्पवास मेला में काफी अंतर दिखाई पड़ रहा है।साफ सफाई प्रकाश पेयजल शौचालय सभी बेहतर है।

सिमरिया घाट अब हरिद्वार से कम नहीं लगता है।सीतामढ़ी निवासी नूतन झा ने कहा कि गंगा सेवन करने का मन वर्षों से था लेकिन कभी कभी एक दो दिन के लिए आती थी।अब सब माया मोह छोड़कर इस बार पूरे एक माह गंगा सेवन करने आई हूं। यहां आकर मन प्रसन्न हो गया है। सुबह से शाम तक भक्ति के रस में मस्त रहती हूं। सुबह गंगा स्नान, पूजा अर्चना आरती, चाय खाना, कथा, संध्या आरती पता नहीं चलता है और समय कट जा रहा है

। उन्होंने कहा एक दो दिन दिक्कत हुई। पंखा एवं बेंड को लेकर कठिनाई हुई। अब सबकुछ सामान्य हो गया है। उन्होंने कहा पहले आते थे तो हर जगह गंदगी ही गंदगी, जहां तहां शौचालय मिलता था।इस बार सिमरिया धाम पर सीढ़ी घाट और अन्य व्यवस्था देखकर मन प्रसन्न हो गया है। गंगा महाआरती देखकर मन और भी प्रसन्न हो जाता है।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट