डीएनबी भारत डेस्क
खोदावंदपुर|धार्मिक मंदिरों और आस्था का केंद्र बिंदु है बेगूसराय जिला मुख्यालय का सुदूर प्रखंड खोदावन्दपुर। यहां विभिन्न पंचायतों में कई दुर्गा मंदिर स्थापित हैं। कई दशक पूर्व से स्थापित इन दुर्गा मंदिरों में लोगों की मुरादें पूरी होती है। यही कारण है कि हर साल इन मंदिरों में दुर्गा भक्त न केवल प्रतिमाओं का निर्माण करवाते हैं, बल्कि नवरात्रा के दौड़ान पूजा पाठ की विशेष व्यवस्था भी करते हैं। आस्था से जुड़े इन दुर्गा मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन होता है और दर्जनों दुकानें सजायी जाती है।
भगवती वैष्णवी दुर्गा के लिए प्रसिद्ध है मेघौल पेठिया का दुर्गा मंदिर-
सन 1940 ईस्वी में मेघौल गांव में इस दुर्गा मंदिर की स्थापना की गयी थी। गांव के जमीनदार लक्ष्मण प्रसाद सिंह ने इसकी स्थापना किया था। सन 1950 ईस्वी में इस मंदिर परिसर में ग्रामीणों के सहयोग से एक उच्च विद्यालय की स्थापना की गयी, जिसका नाम श्रीदुर्गा उच्च विद्यालय मेघौल रखा गया। लोगों का कहना है कि इस दुर्गा मंदिर में मांगी गयी मन्नतें कभी निष्फल नहीं होती। यहां वैष्णवी दुर्गा पूजा की जाती है और बलि प्रदान नहीं किया जाता है। वर्तमान समय में श्री सिंह के पौत्र राममूर्ति प्रसाद सिंह के संरक्षण में प्रतिमा निर्माण और पूजा पाठ का संचालन किया जा रहा है। साल में दो बार शारदीय नवरात्र और बासंती नवरात्र के मौके पर प्रतिमा स्थापित करने और पूजा पाठ किये जाने का कार्य होता है।
बरियारपुर पूर्वी पंचायत के मसुराज गांव में सार्वजनिक जगह पर स्थापित दुर्गा मंदिर भी लोगों के आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है। इसके पूजारी शिव दास के अनुसार इस दुर्गा मंदिर की स्थापना सन 1956 ई में की गयी। ग्रामीणों के सहयोग से प्रति वर्ष शारदीय नवरात्र के मौके पर भगवती दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है और तीन दिनों तक यहां मेला लगाया जाता है। इस मौके पर पहले कुश्ती का आयोजन भी होता था, जिसमें दूर दूराज के पहलवान अपना दाव पेंच खेलने आते थे। अब यहां कुश्ती का खेल नहीं होता है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि मनोकामना पूर्ण होने पर लोग यहां बकरे की अर्धबलि देती है। इस दुर्गा मंदिर में सैकड़ों कलश की स्थापना की जाती है।
आकर्षण का केंद्र बिंदु है ताराबरियारपुर का दुर्गा मंदिर-
बरियारपुर पश्चिमी पंचायत के तारा बरियारपुर गांव में 1971 ईस्वी में स्थापित दुर्गा मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बिंदु है। मिली जानकारी के अनुसार पंचायत के तत्कालीन सरपंच प्रभु नारायण गुप्ता एवं ग्रामीण राम नारायण चौधरी ने संयुक्त रूप से इस मंदिर का निर्माण करवाया था। यहां भी शारदीय नवरात्र के मौके पर भगवती दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है और तीन दिवसीय मेले का आयोजन भी होता है, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम भी करवाया जाता है।
मुराद पूरी होने पर लोग प्रतिमा निर्माण और पूजा पाठ में सहयोग करते हैं। राम नारायण चौधरी के मृत्यु के बाद प्रभु नारायण गुप्ता ने इस कार्य की बागडोर संभाली। सन 2007 ईस्वी में इस दुर्गा मंदिर को सार्वजनिक घोषित किया गया। इस दुर्गा मंदिर में लोग श्रद्धा और भक्तिभाव से पूजा पाठ करते हैं। दुर्गा पूजा को लेकर आकर्षक ढ़ंग से पूजा पंडालों को सजाया जा रहा है।
बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नितेश कुमार की रिपोर्ट