डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय जिले के तेघड़ा बाजार पुरानी ब्लॉक स्थित रसोई महल परिणय गार्डन में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के द्वारा श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ कार्यक्रम के चौथे दिन आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी सुकरमानंद जी ने कहा कि आज इंसान जितना प्रयास मुक्ति के लिए करता है यदि भक्ति के लिए करें तो मुक्ति निश्चित है। स्वामी जीने कहा कि यदि भक्ति के शाश्वत युक्ति को जानना चाहते हैं तो केवट और शबरी जैसा भाव चाहिए।
दुनिया में भगवान मिलना कठिन नहीं, “कठिन है तो पूर्ण संत का मिलना” जिसने भगवान को देखा है और जो दिखाने का सामर्थ रखते हैं।गोस्वामी जी कहते हैं की संत और असंत दोनों एक साथ संसार में पैदा लेते हैं , कमल और जोक की भांति। दोनों कीचड़ में पैदा लेते हैं लेकिन दोनों के गुण अलग होते हैं । आज समाज में इंसान यदि ऐसे असंत के द्वारा ठगा जा रहा है तो इसका जिम्मेवार आज का मानव स्वयं है। आशुतोष महाराज जी कहते हैं असंत के चक्कर में वही लोग फसते हैं
जो आत्मा की कराह को नहीं सुनते मन की इच्छाओं कामनाओं को लेकर संत की शरण में जाते हैं और मन के मुताबिक जहां जो मिल जाए वहीं ठहर जाते हैं पर ईश्वर के सच्चे जिज्ञासू ईश्वर दर्शन से एक पाई कम का सौदा नहीं करते वह विवेकानंद की भांति खोजी बनते हैं जब तक उन्हें दिव्य ज्योति का दर्शन प्राप्त नहीं हो जाता वह रुकते नहीं है ।शिष्या प्रीति भारती जी ने कहा कि आज सिर्फ अशिक्षित वर्ग ही नहीं शिक्षित वर्ग भी आंख मूंदकर संतों पर विश्वास करता है उनके चरणों में बैठ श्रद्धा के पुष्प चढ़ता है और फिर अंत में स्थिति क्या होती है।
लोभी गुरु लालची चेला नरक में दोनों ठेलम ठेला। आप जिस भी संत के पास जाएं ज्ञान की कसौटी साथ लेकर जाएं। पूर्ण संत की पहचान कोई बड़े-बड़े आश्रम, भीड़ या चमत्कार आदि नहीं पूर्ण संत की पहचान है ब्रह्म ज्ञान । जिस ज्ञान के द्वारा अंतरघट में ईश्वर का दर्शन अंगुली माल, साधना कसाई ,ध्रुव और प्रहलाद ने प्राप्त किया।
आज सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से ज्ञान दीक्षा के समय अनेकों जिज्ञासुओ ने ईश्वर दर्शन प्राप्त कर भक्ति के मर्म को जाना। संस्थान आप जैसे जिज्ञासुओं को खुला आमंत्रण देता है आप भी आए और मुक्ति की युक्ति प्राप्त करें। समस्त तेघरा वासियो का सहयोग सराहनीय रहा। और समापन पावन पवित्र आरती से हुई।
समस्तीपुर संवाददाता अफरोज आलम की रिपोर्ट