मध्य भारत उत्तर प्रदेश के कुछ जिले ओडिशा एवं पूर्वोत्तर के राज्यों पर पड़ेगा इस ग्रहण का प्रभाव
डीएनबी भारत डेस्क
वैसे तो ग्रहण का लगना एक खगोलीय घटना है लेकिन प्राचीन ज्योतिष शास्त्र एवं धर्म शास्त्रों की मान्यता के अनुसार जब पृथ्वी से चंद्रमा अथवा सूरज का दिखना बंद हो जाता है यानी ग्रहण की स्थिति बनती है तो उसका प्रभाव पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवो पर पड़ता है। इस बार हिंदी महीने के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को सूर्य ग्रहण लगा था एवं कार्तिक पूर्णिमा के सामने चंद्रग्रहण का योग है यानी एक ही महीने में दोबारा ग्रहण का संयोग बन रहा है।
कब से कब तक ग्रहण का प्रभाव
गंगा के उत्तरी भाग मिथिला के क्षेत्र में भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण शाम 4:59 से 6:20 तक रहेगा यानी कि ग्रहण का संपूर्ण काल एक घंटा 21 मिनट का है। चंद्रमा का उदय 4:57 में होगा यानी चंद्रोदय के कुछ मिनटों के पश्चात ही सूर्य से चंद्रमा पर पड़ने वाला प्रकाश अवरुद्ध होगा जिस कारण पृथ्वी से चंद्रमा दिखाई नहीं देंगे। यह ग्रहण भारत के अलावे मध्य एवं दक्षिण अमेरिका, मध्य ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया, सुमात्रा मध्य चीन, मंगोलिया एवं मध्य रूस में दिखाई देंगे।
ग्रहण का नजारा
भारत में यह ग्रहण देश के पूर्वोत्तर राज्यों के शहरों में डिब्रूगढ़,इंफाल,कोहिमा तिनसुकिया में पूर्ण रूप से देखे जा सकेंगे। ग्रहण का अंत उड़ीसा झारखंड बिहार उत्तर प्रदेश के वाराणसी गोरखपुर शहरों से पूर्णरूपेण दृश्य होगा।
ग्रहण का प्रभाव
ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री के अनुसार ज्योतिष के महान ऋषि वल्लाल देव रचित अद्भुत सागर नामक ग्रंथ एवं वराह संहिता में ऐसा वर्णन आया है कि अगर कार्तिक महीने में सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण हो तो शूरसेन अर्थात मथुरा, कौशल अर्थात फैजाबाद, गोंडा, बहराइच, अयोध्या कलिंग अर्थात उड़ीसा, आंध्र प्रदेश छत्तीसगढ़, बंगाल एवं मध्यप्रदेश के कुछ भाग उसीनर अर्थात कनखल हरिद्वार के क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। ओडिशा के किसी मंत्री राजपुरुष के जीवन पर हानि का संकेत भी है। उत्तर प्रदेश जमुना तटीय क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों के अलावे गाय एवं प्रधान व्यक्तियों की क्षति होने की संभावना व्यक्त की गई है। बाकी क्षेत्रों में अच्छी वर्षा एवं अच्छे फसल होंगे। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में चीन से सटे स्थानों पर जहां ग्रहण का केंद्र बनेगा वहां के लोगों के लिए यह ग्रहण पीड़ा देने वाला होगा।
पराशर ऋषि के अनुसार यामये कलिंगन दक्षिणामश्चोपतापति अर्थात देश के दक्षिण दिशा में निवास करने वाले मनुष्य एवं कलिंग देश यानी ओडिशा आंध्र प्रदेश छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश के कुछ भाग एवं बंगाल के कुछ भाग के निवासी लोगों को भरनी नक्षत्र में लगने वाला ग्रहण पूरा देता है।
ज्योतिष के प्रसिद्ध विद्वान वाराह्मीहिर के अनुसार कार्तिकयामनलोपजीवी मग्धान प्राच्य अधिपान कोशलान, कल्मषनाथ सूरसेन साहितान काशी च संतापयेत। अर्थात कार्तिक मास में ग्रहण हो तो आग की आजीविका अर्थात लोहार एवं सुनार कार्यक्षेत्र से जुड़े हुए लोग को हानि होती है इसका प्रभाव उसीनर अर्थात कनखल हरिद्वार पंजाब क्षेत्र के लोगों पर भी नकारात्मक रहेगा।
भार्गव एवं कश्यप ऋषि के अनुसार अगर एक ही महीने में दो ग्रहण हो तो यह राजा एवं प्रजाओं के लिए शुभ कारक नहीं होता है यह युद्ध की आशंका को जन्म देती है।
क्या है अलग-अलग राशियों पर ग्रहण का प्रभाव
मेष घात, वृष हानि, मिथुन लाभ, कर्क सुख, सिंह अयश, कन्या कष्ट, तुला स्त्री पीड़ा, वृश्चिक सुख, धनु चिंता, मकर, व्यथा, कुम्भ धनप्राप्ति, मीन क्षति।