28 अक्टूबर की मध्यरात्रि के बाद लगेगा इस वर्ष का आखिरी चंद्रग्रहण

सम्पूर्ण भारत सहित एशिया महादेश के अलावे आस्ट्रेलिया, अफ्रीका,हिन्द महासागरीय देश,दक्षिणी अमेरिका के उत्तरीभाग, उत्तर अमेरिका के उत्तरी पूर्वी भाग में दिखाई देगा यह चंद्रग्रहण।

सम्पूर्ण भारत सहित एशिया महादेश के अलावे आस्ट्रेलिया, अफ्रीका,हिन्द महासागरीय देश,दक्षिणी अमेरिका के उत्तरीभाग, उत्तर अमेरिका के उत्तरी पूर्वी भाग में दिखाई देगा यह चंद्रग्रहण

भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र,अफगानिस्तान पाकिस्तान,चीन,कम्बोज क्षेत्र के अलावे मरुभूमिय क्षेत्रो के लोगो पर होगा इसका गहरा प्रभाव.

डीएनबी भारत डेस्क 

इस वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण शारदीय पूर्णमासी अर्थात 28 अक्टूबर की मध्य रात्रि के बाद लगने जा रहा है.संपूर्ण मिथिला क्षेत्र में ग्रहण का प्रारंभ मध्य रात्रि 1:07 से होगा ग्रहण का मध्य 1:46 तथा ग्रहण की समाप्ति रात्रि शेष 2:25 में होगा.ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री ने बताया कि यह ग्रहण संपूर्ण एशिया ऑस्ट्रेलिया यूरोप अफ्रीका एवं हिंद महासागरीय देश के अलावा दक्षिणी अमेरिका के उत्तर पूर्वी भाग तथा उत्तरी अमेरिका के उत्तर पूर्वी भाग में दिखाई देगा.

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कब से बीतेगा सूतक और क्या नही करे सूतक में

धर्म शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण से 9 घंटा पहले सूतक प्रारंभ हो जाता है। सूतक में भोजन करना देवताओं के मूर्ति का स्पर्श करना शयनन करना वर्जित है. गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण काल एवं सूतक काल में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए जिसका प्रभाव गर्भस्थ से शिशु पर नकारात्मक होता है. ग्रहण के सूतक लगने के कारण शरद पूर्णमासी के अवसर पर होने वाले धार्मिक पूजन अनुष्ठान एवं पारंपरिक रूप से खीर उसमें रखकर खाने का विधान नहीं होगा क्योंकि सूर्यास्त के साथ ही सूतक प्रारंभ हो जाएगा इसलिए शारदीय पूर्णमासी के वर्जित रहेंगे.

किन किन राशियों पर पड़ेगा क्या प्रभाव

मेष-घात,वृष-हानि,मिथुन-लाभ,कर्क-सुख,सिंह-मानननाश,कन्या-मृत्यु तुल्य कष्ट,तुला-स्त्री पीड़ा, वृश्चिक- सौख्यम,धनु-चिंता,मकर-व्यथा,कुम्भ-श्री धनप्राप्ति,मीन-क्षति ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री ने बताया कि ज्योतिष के विभिन्न गणना में अलग-अलग समय में लगने वाले सूर्य एवं चंद्र ग्रहण का संसार के अलग-अलग भागों में रहने वाले लोगों पर हानि लाभ आदि फल प्राप्त होते हैं.अद्भुत सागर भल्लालदेव द्वारा रचित ग्रंथ के अनुसार इस ग्रहण के कारण अफगानिस्तान के उत्तरी भाग, भारत के उत्तर पश्चिम, अफगानिस्तान, अवंती, चीन कंबोज क्षेत्र के लोगों का नस एवं हानि देने वाला होगा. प्रसिद्ध ज्योतिष रचयिता वराह मिहिर की विरा संहिता के अनुसार इस ग्रहण के कारण पाउंड्रा देश अर्थात गुजरात का उत्तरी भाग चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हुए लोग बनवासी तथा तिब्बत वर्मा के वह निवासी जो नेपाल क्षेत्र से आकर कालिंग पोंग एवं दार्जिलिंग में रहने लगे उनके लिए यह हानिकारक होगा. दूसरे शास्त्र के अनुसार यह पश्चिमी समुद्र तटीय देश यमन ओमान पाकिस्तान ईरान मालदीप जैसे इस्लामी देशों के लोगों को आमजन मानस की जान माल की हानि होगी तथा बिना क्षेत्र के पूर्व दक्षिणी क्षेत्र के लोग कक्षा गुजरात के लोगों के लिए भी यह ग्रहण हानिकारक होगा. इन क्षेत्रों को छोड़कर देश बाकी क्षेत्रों में वर्षा अच्छी होगी,धन्य की उपज व अन्य भंडार में वृद्धि एवं प्राजों को सुख होगा.

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